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PM Modi ने मां हीरा बेन निस्वार्थ कर्मयोगी बताया, लिखा – ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन को बुधवार को तबीयत खराब होने के बाद अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था. अस्पताल की ओर से जारी एक बुलेटिन में उनके निधन की सूचना दी गई.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन का शुक्रवार की तड़के निधन हो गया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां हीराबेन को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शुक्रवार को कहा, ‘मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है.’ प्रधानमंत्री की मां हीराबेन का शुक्रवार को अहमदाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 100 वर्ष की थीं.

शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन को बुधवार को तबीयत खराब होने के बाद अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था. अस्पताल की ओर से जारी एक बुलेटिन में उनके निधन की सूचना दी गई. मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, ‘हीराबेन मोदी ने यूएन मेहता हार्ट हास्पिटल में इलाज के दौरान 30 दिसंबर 2022 को तड़के साढ़े तीन बजे अंतिम सांस ली.’ प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम.’

काम करो बुद्धि से, जीवन जिओ शुद्धि से

प्रधानमंत्री मोदी ने याद किया कि जब वह अपनी मां के सौंवें जन्मदिन पर उनसे मिले थे, तो उन्होंने उनसे कहा था, ‘काम करो बुद्धि से और जीवन जिओ शुद्धि से.’ प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को दोपहर बाद दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचे थे और वहां अस्पताल में अपनी मां से मिलने गए थे. वह एक घंटे से अधिक समय तक अस्पताल में रहे और डाक्टरों से मां के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की थी.

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रायसन गांव में पंकज मोदी के घर रहती थीं हीरा बा

हीराबेन को हीराबा भी कहा जाता था. वह गांधीनगर के समीप रायसन गांव में प्रधानमंत्री मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ रहती थीं. प्रधानमंत्री अपने गुजरात दौरों के दौरान नियमित रूप से रायसन जाकर अपनी मां से मिलते थे.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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