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Rahul Gandhi: राहुल गांधी की सदस्यता पर फिर लटकी तलवार! बहाली को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अशोक पांडे ने जनहित याचिका दाखिल करते दलील दी है कि एक बार आपराधिक मानहानि मामले में दोषी पाए जाने और 2 साल की सजा के बाद राहुल गांधी ने अपनी सदस्यता खो दी थी, ऐसे में दोबारा उनकी सदस्यता बहाल करना गलत है.

Rahul Gandhi: राहुल गांधी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती है. उनकी संसद सदस्यता की बहाली को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. लखनऊ के एक अधिवक्ता अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना रद्द करने की मांग की है. अधिवक्ता पांडे ने अपनी याचिका में कहा है कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के साथ संविधान के अनुच्छेद 102, 191 के तहत अपना पद खो देता है तो वह तब तक योग्य घोषित नहीं होता जब तक कि कोई उच्च अदालत उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से उसे बरी नहीं कर देता.

लोकसभा अधिसूचना को रद्द किया जाये
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अशोक पांडे ने जनहित याचिका दाखिल करते दलील दी है कि एक बार आपराधिक मानहानि मामले में दोषी पाए जाने और 2 साल की सजा के बाद राहुल गांधी ने अपनी सदस्यता खो दी थी, ऐसे में दोबारा उनकी सदस्यता बहाल करना गलत है. उन्होंने अपनी याचिका के जरिये अनुरोध किया है कि लोकसभा अधिसूचना को रद्द किया जाये.

सुप्रीम कोर्ट ने  राहुल की दोषसिद्धि को किया था निलंबित
गौरतलब है कि मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में गुजरात की सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी माना था. इसके बाद बीते 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम वाले आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया था. जिसके बाद 7 अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने चार अगस्त को फैसला सुनाते हुए कहा था कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया, सिवाय इसके कि उन्हें अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है? इस टिप्पणी को लेकर गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री सह बीजेपी के नेता पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. वहीं, गांधी ने अपनी याचिका में कहा था कि यदि कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा. राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि आपराधिक मानहानि के इस मामले में अप्रत्याशित रूप से अधिकतम दो साल की सजा दी गई, जो अपने आप में दुर्लभतम है.

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राहुल गांधी को खाली करना पड़ा था सरकारी आवास
गौरतलब है कि कोर्ट के फैसले में राहुल गांधी को जब दो साल जेल की सजा मिली थी तो उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई थी. इसके बाद राहुल गांधी को अपना बंगला भी खाली करना पड़ा था. बंगला खाली करने के मौके उन्होंने कहा था कि जनता ने मुझे यह बंगला 19 साल तक रहने के लिए दिया था इसके लिए मैं उनका आभारी हूं.  राहुल गांधी ने कहा कि मुझे सच बोलने की सजा मिल रही है, लेकिन मैं सच बोलने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार हूं. राहुल गांधी ने जिस समय तुगलक रोड स्थित अपना बंगला खाली किया, उस वक्त उनके साथ उनकी मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थी.

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