PESA Mahotsav: बुधवार को पेसा महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय पंचायती राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए संविधान में प्रावधान है और इसका जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन होना चाहिए. पेसा अधिनियम के तहत आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधन पर अधिकार दिया गया है. मंत्रालय बड़े पैमाने पर जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को पेसा अधिनियम को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए कई तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा है. साथ ही विभिन्न राज्य में पेसा को लेकर अच्छी पहल का दस्तावेजीकरण कर रहा है ताकि इसे दूसरे राज्य भी अपना सकें.
पंचायत स्तर पर विकास योजना में स्थानीय जरूरत और परंपरा को महत्व दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री के विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आदिवासी समुदाय का विकास जरूरी है. पेसा महोत्सव का मकसद आदिवासी युवाओं से जुड़ाव, उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास करना, आदिवासी संस्कृति को उचित पहचान दिलाना और मेरी परंपरा, मेरी पहचान की भावना को मजबूत करना है ताकि आदिवासी समुदाय सम्मानित जीवन जी सके और उसका समग्र विकास हो. महोत्सव के दूसरे दिन पेसा के तहत आने वाले दस राज्यों की ओर से स्थानीय लोक कला का शानदार प्रदर्शन किया गया.
लोक कला का हुआ शानदार प्रदर्शन

पेसा महोत्सव का मकसद आदिवासियों के सशक्तिकरण, सांस्कृतिक जुड़ाव और और उनकी कला, विरासत, संस्कृति और खेल को बढ़ावा देना है. बुधवार को पेसा के तहत आने वाले राज्यों की लोक कला का शानदार प्रदर्शन किया गया. झारखंड की ओर से मर्दाना झुमर डांस का प्रदर्शन हुआ. वहीं अन्य राज्यों की प्रमुख आदिवासी लोक कलाकारों के प्रदर्शन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि खुशी की बात है कि पेसा अधिनियम को लागू करने के लिए हाल ही में झारखंड सरकार ने नियम बनाने का काम किया है. अब सिर्फ ओडिशा को ही नियम बनाना है और उम्मीद है कि यह काम भी जल्द हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि पेसा कानून का मुख्य उद्देश्य आदिवासी क्षेत्र में जमीनी स्तर पर शासन को मजबूत करने के अलावा उनकी जल, जंगल और जमीन की रक्षा करना है. इस कानून के जरिये स्थानीय स्तर पर शासन की चुनौतियों को दूर करना और स्थानीय संस्था को मजबूत बनाना है ताकि सामुदायिक आधार पर फैसले लिए जा सकें. पेसा क्षेत्र में ग्राम सभा को विशेष अधिकार देने का मकसद आदिवासी समुदाय को अपने हित में विकास योजना से जुड़े फैसले लेने के लिए तैयार करना है.
यह महोत्सव आदिवासी संस्कृति और स्थानीय विकास में ग्राम सभाओं की भूमिका को सशक्त करने, आदिवासियों की कला, सामुदायिक संपदा और संस्कृति की रक्षा करने और आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा के विकास के साथ जोड़ना है. साथ ही आदिवासी कला और संस्कृति के लोगों को रूबरू कराना है. विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में इस समुदाय की हिस्सेदारी अहम है.

