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NHAI: राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में वन्यजीव की सुरक्षा को दी जा रही है प्राथमिकता

मानव सुरक्षा के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन बनाना और स्थानीय भौगोलिक स्थिति को बनाए रखना है. राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के दौरान वन्यजीव की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मध्य प्रदेश के वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के 11.96 किलोमीटर सड़क मार्ग में आने वाले दो किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र में नयी पहल को लागू करने की कोशिश की गयी.

NHAI: हाल के वर्षों में देश में राष्ट्रीय राजमार्ग का विकास काफी तेज गति से हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की गति बढ़ने के साथ ही संवेदनशील वन और पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए सुरक्षा के सभी मानकों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. इसका मकसद मानव सुरक्षा के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन बनाना और स्थानीय भौगोलिक स्थिति को बनाए रखना है. 

राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के दौरान वन्यजीव की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मध्य प्रदेश के वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के 11.96 किलोमीटर सड़क मार्ग में आने वाले दो किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र में नयी पहल को लागू करने की कोशिश की गयी. यह पहल दुबई के शेख जायद रोड से सबक लेते हुए और अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च और दिशानिर्देश का पालन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग पर टेबल-टॉप रेड मार्किंग करने का फैसला लिया.

इस नीति के तहत संवेदनशील क्षेत्र में 5 एमएम मोटा लाल थर्मोप्लास्टिक लेयर बनाने का काम किया है. इस लाल रंग को देखकर ड्राइवर को पता लग जाता है कि वे संवेदनशील इलाके में गाड़ी चला रहे हैं और इस क्षेत्र में गाड़ी की गति भी कम होती है. इसका मकसद वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. 


सफल रहा है प्रयोग


खास बात है कि इस पहल का भौगोलिक स्थिति पर प्रतिकूल असर नहीं देखा गया है. साथ ही इसके कारण वन्यजीवों की आवाजाही भी प्रभावित नहीं है. इसका रखरखाव काफी आसान है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए सड़क के दोनों किनारे विशेष दिशा-निर्देश की पट्टिका तय दूरी पर मौजूद रहती है. वन्यजीव की सुरक्षा के लिए गति प्रबंधन के साथ ही एनएचएआई ने कई दूसरे कदम भी उठाए है. सड़क पर पशुओं की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए 25 डेडिकेटेड एनिमल अंडरपास का निर्माण किया गया है. 

सभी अंडरपास को प्राकृतिक तौर पर जमीनी स्तर पर पानी के बहाव को ध्यान में रखकर तैयार किया है ताकि पशुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. इसके अलावा कई जगहों पर सड़क के किनारे बाड़ लगाने का भी काम किया गया है ताकि सड़क पर पशुओं को आने की संभावना को कम किया जा सके. पुलों पर पशुओं की आवाजाही की निगरानी के लिए कैमरे लगाए गए हैं ताकि उनकी हर गतिविधि पर बारीक नजर रखी जा सके. इस पहल का मकसद मानव के साथ पशुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है. 

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