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Morbi Bridge Incident: जंग लगे तार और पुराने सस्पेंडर्स हादसे का मुख्य कारण, SIT की जांच रिपोर्ट में कई खुलासे

Morbi Bridge Case: अपनी जांच में एसआईटी ने यह भी गौर किया कि हादसे के समय पुल पर करीब 300 लोग थे. जांच में कहा गया कि यह संख्या पुल की भार वहन क्षमता से कहीं अधिक थी. हालांकि, जांच में कहा गया है कि पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी.

Morbi Bridge Case: गुजरात के मोरबी पुल हादसे का सबसे बड़ा कारण जंग लगी तार का होना था. यही नहीं पुराने सस्पेंडर्स को नये सस्पेंडर्स के साथ वेल्डिंग करना भी हादसे के अहम कारणों में से एक था. दरअसल, मोरबी पुल हादसे (Morbi Pull Accident) को लेकर गठित एसआईटी टीम की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया है कि केबल पर लगभग आधे तारों पर जंग लगा हुआ था. साथ ही पुराने सस्पेंडर्स को नये के साथ वेल्डिंग कर दिया गया था.

135 लोगों की हुई थी मौत: गौरतलब है कि यह हादसा बीते साल गुजरात के मच्छु नदी पर हुआ था. जहां ब्रिटिश काल में बने मोरबी पुल के टूट जाने से 135 लोगों की मौत हो गई थी. घटना पिछले साल के अक्टूबर महीने में घटी थी. वहीं, पुल के संचालन और रखरखाव के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन ओरेवा ग्रुप ने अपना काम ठीक से नही किया. पुल के 49 तारों में से 22 तारों में जंग लगी हुई थी. लेकिन कंपनी ने इसपर ध्यान नहीं दिया.

एक केबल में लगी थी जंग: अपनी जांच में एसआईटी ने पाया कि मच्छु नदी पर 1887 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए पुल के दो मुख्य केबल में से एक केबल में जंग लगी थी. एसआईटी ने यह भी पाया कि नवीनीकरण कार्य के दौरान स्टील की केबल को प्लेटफॉर्म डेक से जोड़ने वाली सस्पेंडर्स को नये सस्पेंडर्स के साथ वेल्ड कर दिया गया था. दरअसल, पुल में लगे प्रत्येक केबल को सात स्टील के तारों से मिलाकर बनाया गया था. इस केबल को बनाने के लिए कुल 49 तारों को सात तारों में एक साथ जोड़ा गया था.

300 लोग पुल पर थे मौजूद: अपनी जांच में एसआईटी ने यह भी गौर किया कि हादसे के समय पुल पर करीब 300 लोग थे. जांच में कहा गया कि यह संख्या पुल की भार वहन क्षमता से कहीं अधिक थी. हालांकि, जांच में कहा गया है कि पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी. वहीं, मोरबी नगर पालिका ने सामान्य बोर्ड की मंजूरी लिए बिना ही ओरेवा ग्रुप को पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका दिया था. कंपनी की ओर से पुल को मार्च 2022 में मेंटेनेंस के लिए बंद कर दिया था, इसके बाद 26 अक्टूबर को बिना किसी पूर्व सूचना या निरीक्षण के ही  खोल दिया था.

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10 आरोपी हो चुके हैं गिरफ्तार: बता दें, इस मामले में मोरबी पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. यह घटना पिछले साल 30 अक्टूबर को हुआ था, जब जरूरत से ज्यादा भीड़ हो जाने से मोरबी पुल टूट गया था. वहीं, एसआईटी जांच टीम ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में कई खामियां की ओर इशारा किया है.
भाषा इनपुट के साथ

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