Ladakh Violence : लद्दाख में राज्य का दर्जा देने की मांग बुधवार को हिंसा में बदल गई. इसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें 30 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं. इस इस हिंसा को हाल के समय की सबसे बड़ी घटना बताया जा रहा है. जगह-जगह झड़पें हुईं, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया।.राज्य का दर्जा मांगने वाले प्रदर्शन हिंसक हो गए और प्रदर्शनकारियों ने लेह में बीजेपी दफ्तर और कई गाड़ियों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी.
सोनम वांगचुक का अनशन खत्म करने का ऐलान
बुधवार शाम तक प्रमुख जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने राज्य का दर्जा और लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने की मांग के समर्थन में चल रहा अपना दो हफ्ते का अनशन खत्म करने का ऐलान कर दिया. सुबह से ही लेह में सभी दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे. यहां पूरी तरह से बंद देखने को मिला. इसके बाद आंदोलन बेकाबू होकर हिंसा में बदल गया.

पांच या उससे ज्यादा लोगों के एक जगह जुटने पर रोक
प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए हैं, जिसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों के एक जगह जुटने पर रोक है. इसके साथ ही कांग्रेस नेता और पार्षद फुंटसोग स्टैंजिन त्सेपग पर मंगलवार को अनशन स्थल पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया गया है.
लद्दाख में स्थिति नियंत्रण में: सरकार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि लद्दाख की स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है और शाम चार बजे के बाद कोई हिंसक घटना नहीं हुई. मंत्रालय ने लोगों से अपील की कि मीडिया या सोशल मीडिया पर पुराने और भड़काऊ वीडियो साझा न करें. बयान में कहा गया कि सुबह कुछ घटनाएं हुई थीं, लेकिन शाम तक हालात संभाल लिए गए. स्थिति काबू में लाने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने शहरभर में तैनाती कर आंसू गैस के गोले छोड़े.
VERY SAD EVENTS IN LEH
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 24, 2025
My message of peaceful path failed today. I appeal to youth to please stop this nonsense. This only damages our cause.#LadakhAnshan pic.twitter.com/CzTNHoUkoC
लद्दाख मामले से संवेदनशीलता से निपटने की जरूरत: विपक्षी दल
लद्दाख में राज्य के दर्जे और अन्य मांगों को लेकर भड़की हिंसा के बीच विपक्षी दलों ने बुधवार को कहा कि इस मामले से संवेदनशीलता से निपटने की जरूरत है और हिंसा के कारणों और इसके पीछे के लोगों की पहचान के लिए जमीनी स्तर पर विश्लेषण किए जाने की जरूरत है. हालांकि, वाम दलों ने हिंसा के लिए मोदी सरकार को “जिम्मेदार” बताते हुए उस पर हमला बोला.

