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कश्मीरी पंडितों ने फिर किया प्रदर्शन, घाटी से बाहर ट्रांसफर करने की मांग दोहरायी

प्रदर्शनकारी श्वेता भट ने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन घाटी से हमारे ट्रांसफर के लिए चल रहे आंदोलन का हिस्सा है, क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. हम जम्मू पहुंच गये हैं, जबकि हमारे सहयोगी पिछले 31 दिनों से घाटी में प्रदर्शन कर रहे हैं.’

जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) कर्मचारियों ने जम्मू में सोमवार को फिर प्रदर्शन किया और शांति बहाल होने तक घाटी से बाहर स्थानांतरित किये जाने की मांग दोहरायी. ‘ऑल माइग्रेंट एम्प्लॉई एसोसिएशन कश्मीर’ (All Migrant Employee Association Kashmir) के बैनर तले सैकड़ों महिला एवं पुरुष कर्मचारी यहां प्रेस क्लब के बाहर जमा हुए.

हमारे खून की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें

उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थी, जिन पर लिखा था, ‘हमारे खून की कीमत पर हमारा पुनर्वास नहीं करें. हमारे बच्चे अनाथ हो रहे हैं. हमारी पत्नियां विधवा हो रही हैं. और सिर्फ एक ही समाधान, घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरण.’ वर्ष 2008 में घोषित प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत चयनित किये जाने के बाद से लगभग 4 हजार कश्मीरी पंडित घाटी में विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं.

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खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे कश्मीरी पंडित

पैकेज में दो प्रमुख घटक हैं. पहला, युवाओं के लिए 6 हजार नौकरियों के प्रावधान से संबंधित है और दूसरा कर्मचारियों के लिए 6 हजार आवास इकाइयों से संबंधित है. प्रदर्शनकारी श्वेता भट ने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन घाटी से हमारे ट्रांसफर के लिए चल रहे आंदोलन का हिस्सा है, क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. हम जम्मू पहुंच गये हैं, जबकि हमारे सहयोगी पिछले 31 दिनों से घाटी में प्रदर्शन कर रहे हैं.’

डिप्रेशन में हैं घाटी में काम कर रहे कश्मीरी पंडित

श्वेता भट ने कहा, ‘हम क्षेत्र में काम कर रहे हैं और अवसादग्रस्त महसूस कर रहे हैं और डर की वजह से अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं.’ उन्होंने घाटी के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के सरकारी आश्वासन को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी कर्मचारी ‘सरकारी लॉलीपॉप’ में नहीं फंसेंगे, क्योंकि ‘हमारी जिंदगी दांव पर है’.

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घाटी के बाहर कहीं भी कर दें ट्रांसफर

उन्होंने कहा, ‘सरकार स्थिति सामान्य होने तक हमें घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित कर दे.’ एक अन्य प्रदर्शनकारी अजय कुमार ने कहा, ‘हम कर्मचारी सेवा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन स्थिति हमारे अनुकूल नहीं है. हम तब लौटेंगे, जब सरकार यह घोषणा करेगी कि कश्मीर आतंकवाद-मुक्त हो गया है.’

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