Modi Govt In Action: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के जिन दो संगठनों को 5 साल के बैन लगाया है, उसमें मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और मसरूर अब्बास अंसारी की अगुवाई वाली जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, “जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन और अवामी एक्शन कमेटी को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है. ये संगठन लोगों को कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा करने के लिए उकसाते पाए गए, जिससे भारत की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हुआ. देश की शांति, व्यवस्था और संप्रभुता के खिलाफ गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को मोदी सरकार की कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा.”
कौन हैं मीरवाइज उमर फारूक
मीरवाइज उमर फारूक अलगाववादी संगठनों के गठबंधन ‘ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के अध्यक्ष और श्रीनगर की जामिया मस्जिद के मुख्य मौलवी हैं, जो कश्मीर की सबसे भव्य और प्रभावशाली मस्जिद है. वहीं, अंसारी ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और कश्मीर घाटी के प्रमुख शिया नेता हैं.
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उमर फारूक और निसार अहमद के खिलाफ दर्ज हैं कई मामले
उमर फारूक, मुश्ताक-उल-इस्लाम, निसार अहमद राथर और निसार अहमद भट जैसे एएसी नेताओं के खिलाफ भारत की अखंडता के खिलाफ नारे लगाने, जम्मू-कश्मीर के भारत संघ से अलग न होने तक संघर्ष जारी रखने का आह्वान करने और पत्थरबाजी जैसे आरोपों में मामले दर्ज किए गए हैं. उमर फारूक तीन अगस्त 2011 को सैयद अली शाह गिलानी द्वारा किए गए ‘हड़ताल’ के आह्वान का समर्थन करने और घाटी के आम लोगों तथा युवाओं को भारत की संप्रभुता के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने के आरोप में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं.