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रॉकेट फाॅर्स बनाने की तरफ भारत का बड़ा कदम, डिफेन्स सर्विसेज को मिलेंगे 250 से ज्यादा प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल

Pralay Ballistic Missile: रिपोर्ट्स की अगर माने तो प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल 150 से लेकर 500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर अपने लक्ष्य को तय कर सकता है. केवल यहीं नहीं इन मिसाइलों को भेदना भी काफी मुश्किल होने वाला है.

Pralay Ballistic Missile: 2023 का भारत काफी तेजी से विकास की राह पर बढ़ रहा है. आज इसने ताकतवर रॉकेट फाॅर्स बनाने की तरफ एक लंबी छलांग लगायी है. इस रॉकेट फाॅर्स को तैयार करने के पीछे सरकार का मकसद उत्तरी बॉर्डर की तरफ से आने वाले खतरों से देश को बचाने का है. रिपोर्ट्स की अगर माने तो भारतीय डिफेन्स फाॅर्स आने वाले समय में प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के और दो यूनिट्स अधिकृत करने वाली हैं. इनकी कीमत 7,500 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है. जानकारी ले लिए बता दें डिफेन्स मिनस्ट्री ने पिछले साल दिसंबर के महीने में भारतीय वायु सेना के लिए मंजूरी दी थी.

मिसाइलों को खरीदने का प्रस्ताव अपने आखिरी चरण में

न्यूज एजेंसी ANI के माध्यम से जानकारी देते हुए डिफेन्स सूत्रों ने बताया कि- प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के और दो यूनिट्स अधिकृत किया जाने वाला है. इन दोनों ही यूनिट्स को डिफेन्स फाॅर्स के लिए अधिकृत किया जाने वाला है. इनका इस्तेमाल जल, थल और वायु सेना के लिए रॉकेट फाॅर्स तैयार करने के लिए किया जाएगा. आगे बताते हुए उन्होंने बताया कि- जमीनी बलों के लिए इन मिसाइलों को खरीदने का प्रस्ताव अपने आखिरी चरण में हैं. केवल यहीं नहीं इस प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है.

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150 से 500 किलोमीटर तक की दूरी कर सकता है तय

रिपोर्ट्स की अगर माने तो प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल 150 से लेकर 500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर अपने लक्ष्य को तय कर सकता है. केवल यहीं नहीं इन मिसाइलों को भेदना भी काफी मुश्किल होने वाला है. सोर्स ने आगे बताया कि इन मिसाइलों की दूरी को कुछ और सौ किलोमीटर तक बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्यों किया जा रहा है ताकि, सेना को मजबूत क्षमता प्रदान किया जा सके.

चीन और पकिस्तान के पास हैं बैलिस्टिक मिसाइल

चीन और पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जो सामरिक भूमिकाओं के लिए हैं. सूत्रों ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित मिसाइल को और विकसित किया जा रहा है. 2015 के आसपास मिसाइल प्रणाली का विकास होना शुरू हुआ और इस तरह की क्षमता के विकास को देर से बढ़ावा दिया गया जनरल बिपिन रावत सेनाध्यक्ष के रूप में 2021 में पिछले साल 21 दिसंबर और 22 दिसंबर को लगातार दिनों में इस मिसाइल का दोबारा सफल परीक्षण किया गया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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