Election Commission: बिहार में चुनाव से पहले किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) को लेकर सियासी और कानूनी लड़ाई चली. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है. हालांकि शीर्ष अदालत ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. सियासी और कानूनी लड़ाई के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और सभी दलों की ओर से जोर-शोर से प्रचार अभियान चलाया जा रहा है. बिहार के बाद चुनाव आयोग अगले साल पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारी शुरू कर दी है.
गुरुवार को चुनाव आयोग की ओर से आयोजित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के हर पहलू पर विस्तृत चर्चा की गयी. इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की. बैठक के दौरान चुनाव आयुक्त डॉक्टर सुखबीर सिंह संधू और डॉक्टर विवेक जोशी मौजूद रहे. इस दौरान सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा संबंधित राज्यों के चुनाव अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया.
पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में होगा एसआईआर
पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एसआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव आयोग के एसआईआर कराने के फैसले का जमकर विरोध कर रही है. लेकिन चुनाव आयोग एसआईआर कराने की प्रक्रिया को शुरू कर चुका है. गुरुवार को हुई बैठक में चुनाव आयुक्तों ने अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पांचों राज्यों के अधिकारियों के साथ अलग से विस्तृत बातचीत की.
चुनाव आयोग की ओर से आयोजित इस बैठक का मकसद चुनाव से पहले राज्यों में पारदर्शी, समावेशी और त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार करना है ताकि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष बनाया जा सके. बैठक में राज्य के चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाता सूची को दुरुस्त करने के दौरान पूरी पारदर्शिता से काम करें ताकि किसी भी योग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची ने नहीं कटे.

