Cabinet: केंद्र सरकार ने किसानों और पशुपालकों से जुड़े दो अहम फैसले लिए है. क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी. विकास कार्यक्रम योजना के केंद्रीय क्षेत्र घटक के रूप में संशोधित आरजीएम का क्रियान्वयन 1000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ किया जा रहा है, जो 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल 3400 करोड़ रुपये होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गयी.
गोकुल मिशन के तहत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) देश भर के 605 जिलों में किसानों के दरवाजे पर मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है. अब तक 8.39 करोड़ से अधिक पशुओं को इस योजना के तहत कवर किया गया है और इससे 5.21 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है. देश भर में राज्य पशुधन बोर्डों (एसएलबी) या विश्वविद्यालयों के तहत कुल 22 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) लैब की स्थापना की गयी है. इसमें 2541 से अधिक एचजीएम बछड़े का जन्म हुआ है.
गोकुल मिशन की खासियत
गोकुल मिशन में सरकार ने दो नयी गतिविधियों को भी जोड़ दिया है. इसके तहत कुल 15000 बछियों के लिए 30 आवासीय सुविधाओं के निर्माण के लिए बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत का 35 फीसदी एकमुश्त सहायता और किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है. ऐसी खरीद के लिए दूध संघों, वित्तीय संस्थानों, बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए कर्ज पर पर 3 फीसदी ब्याज दिया जायेगा. इससे अधिक पैदावार देने वाली नस्लों के व्यवस्थित इंडक्शन में मदद मिलने को भी किया गया है.
केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना
यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की चल रही गतिविधियों को जारी रखने के लिए है. इसके तहत वीर्य केंद्रों को मजबूत बनाना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क, बैल प्रजनन कार्यक्रम का क्रियान्वयन, लिंग-विशिष्ट वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम, कौशल विकास, किसान जागरूकता, उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना सहित नवीन गतिविधियों के लिए समर्थन, केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना और इनमें से किसी भी गतिविधि में सहायता के पैटर्न में कोई बदलाव किए बिना केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को मजबूत बनाना शामिल है.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के क्रियान्वयन एवं सरकार के अन्य प्रयासों से पिछले दस वर्षों में दूध उत्पादन में 63.55 फीसदी की वृद्धि हुई है. साथ ही प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता जो 2013-14 में 307 ग्राम रोजाना थी, वह 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम हो गयी है. पिछले दस वर्षों में उत्पादकता में भी 26.34 फीसदी की वृद्धि हुई है.