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‘सचिन पायलट ने गद्दारी की है, नहीं बनाया जा सकता राजस्थान का सीएम’, अशोक गहलोत का बड़ा हमला

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि उनके पास इस बात का सबूत है कि सचिन पायलट समेत प्रत्येक विधायक को 10-10 करोड़ रुपये दिए गए थे. उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान चाहे तो 102 विधायकों में से पायलट को छोड़कर किसी को भी उनकी जगह मुख्यमंत्री बना सकता है.

नई दिल्ली : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट पर बड़ा हमला करते हुए उन्हें ‘गद्दार’ कहा है. उन्होंने कहा कि सचिन पायलट ने 2020 में पार्टी के खिलाफ बगावत की थी और राजस्थान की चुनी हुई सरकार को गिराने की पुरजोर कोशिश की थी. इसलिए उन्हें किसी भी सूरत में राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता. अशोक गहलोत के इस हमले से कांग्रेस की राजस्थान इकाई में आंतरिक कलह और बढ़ता नजर आ रहा है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

पायलट की बगावत में शाह और प्रधान की भी भूमिका

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान में आने वाली है. मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में गुरुवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ पैदल चलने वाले पायलट ने अशोक गहलोत के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. गहलोत ने यह आरोप भी लगाया कि जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ विधायक गुड़गांव के एक रिसॉर्ट में एक महीने से अधिक समय तक ठहरे हुए थे, तब इस बगावत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की भी भूमिका थी.

बागी विधायकों को दिए गए थे 10-10 करोड़ रुपये

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि उनके पास इस बात का सबूत है कि सचिन पायलट समेत प्रत्येक विधायक को 10-10 करोड़ रुपये दिए गए थे. उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान चाहे तो 102 विधायकों में से पायलट को छोड़कर किसी को भी उनकी जगह मुख्यमंत्री बना सकता है. गहलोत ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि विधायक कभी उसे स्वीकार नहीं करेंगे, जिसने बगावत की हो और जिसे गद्दार कहा गया हो. वह मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है? विधायक ऐसे आदमी को मुख्यमंत्री कैसे स्वीकार करेंगे.

अभी तक पायलट ने नहीं मांगी है माफी

अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसा उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलेगा, जहां प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष वहां की सरकार को गिराने की कोशिश कर रहा हो. गहलोत ने कहा कि अगर पायलट विधायकों से माफी मांगते, तो स्थिति अलग होती. गहलोत के करीबी 90 से अधिक पार्टी विधायकों द्वारा राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने देने के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपने माफी मांगने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने (पायलट ने) आज तक माफी नहीं मांगी है. अगर उन्होंने माफी मांगी होती, तो मुझे माफी नहीं मांगनी पड़ती.

पायलट की बगावत को भुलाया नहीं जा सकता

जब गहलोत से पूछा गया कि क्या कांग्रेस आलाकमान पायलट को उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर सकता है तो उन्होंने कहा कि यह तो कल्पना आधारित सवाल है. उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन यह कैसे होगा? यह नहीं हो सकता. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने देने के बाद पार्टी विधायकों की पिछले दिनों हुई बैठक विद्रोह नहीं थी, बल्कि पायलट के खिलाफ बगावत थी, जिन्होंने उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की.

Also Read: राजस्थान विस चुनाव से पहले संकट में कांग्रेस, सचिन पायलट और अशोक गहलोत में खींचतान जारी
2018 से ही चल रही है खींचतान

राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच गतिरोध रहा है. गहलोत का कहना है कि पायलट की 2020 में की गई बगावत को भुलाया नहीं जा सकता और उन्हें अधिकतर कांग्रेस विधायकों का समर्थन नहीं है, वहीं पायलट खेमा दावा कर रहा है कि विधायक नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं.

वरिष्ठ नेता होकर ऐसा आरोप लगाना उचित नहीं : सचिन पायलट

वरिष्ठ नेता होकर ऐसा बयान देना उचित नहीं है. अशोक गहलोत जी वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं. अनुभवी नेता को ऐसा आरोप लगाना शोभा नहीं देता. वे मुझे पहले भी नकारा-निकम्मा कह चुके हैं. अशोक गहलोत जी ने मेरे खिलाफ पहले भी बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि कभी किसी को इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए. राजस्थान में फिर से चुनाव जीतने पर फोकस होना चाहिए. वहीं, सचिन पायलट के बचाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने भी मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं. गहलोत और पायलट के बीच के मतभेद को सुलझाए जाएंगे. मतभेद ऐसे सुलझाए जाएंगे, जिससे पार्टी और मजबूत होगी. फिलहाल, भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने में जुड़े रहें.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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