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Amit Shah: बांग्लादेश के निर्माण में सीमा सुरक्षा बल का रहा है अहम योगदान 

वर्ष 1965 में बीएसएफ की स्थापना के बाद वर्ष 1971 में देश पर थोपे गए युद्ध में बल के जवानों ने जो वीरता और योगदान दिया, उसे भारत कभी नहीं भूल सकता. बांग्लादेश को भी बीएसएफ के योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए. बांग्लादेश के निर्माण में इस बल की बहुत बड़ी भूमिका रही और अन्याय के खिलाफ लड़ने में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस बल ने बहादुरी के साथ मोर्चा लेने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया.

Amit Shah: वर्ष 1965 से 2025 तक की सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने विकट परिस्थितियों में अल्प संसाधनों में अपनी महत्ता से साबित किया है. वर्ष 1965 में सीमित संसाधन के साथ शुरू हुआ बीएसएफ मौजूदा समय में दुनिया का सबसे बड़ा और गौरवमयी सीमा सुरक्षा बल बन गया है. देशभक्ति के आधार पर सभी कठिनाइयों को पार कर किस प्रकार विश्व में सर्वश्रेष्ठ बना जा सकता है, इसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण सीमा सुरक्षा बल है. सीमा सुरक्षा बल के अलंकरण समारोह एवं रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि बीएसएफ विषम परिस्थितियां, 45 डिग्री से अधिक या बहुत कम तापमान, घने जंगल, दुर्गम पहाड़ और समुद्र के किनारे पूरी मुस्तैदी से देश सेवा का काम कर रहा है. 

देश में एक निर्णय लिया गया था कि एक सीमा पर एक ही बल सुरक्षा करेगा और तब बीएसएफ को बल की योग्यता देखकर दो सबसे कठिन सीमाओं, बांग्लादेश और पाकिस्तान के सीमा के सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी. केएफ रुस्तमजी के योगदान को याद करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 1965 के युद्ध के बाद एक ऐसे बल की जरूरत महसूस की गई जो शांतिकाल में भी सीमा की सुरक्षा कर सके और उससे ही बीएसएफ का विचार जन्मा और रुस्तमजी बल के पहले महानिदेशक बने. वर्ष 1965 में बीएसएफ की स्थापना के बाद वर्ष 1971 में देश पर थोपे गए युद्ध में बल के जवानों ने जो वीरता और योगदान दिया, उसे भारत कभी नहीं भूल सकता.

बांग्लादेश को भी बीएसएफ के योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए. बांग्लादेश के निर्माण में इस बल की बहुत बड़ी भूमिका रही और अन्याय के खिलाफ लड़ने में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस बल ने बहादुरी के साथ मोर्चा लेने का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया.

बीएसएफ
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हर मोर्चे पर बीएसएफ ने साबित की है अपनी उपयोगिता


अमित शाह ने कहा कि सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ बीएसएफ देश की आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और आतंकवाद-विरोधी अभियानों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है. इसके सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं. चुनाव, कोरोना, खेल का मैदान, आतंकवाद या नक्सलवाद का सामना करना हो, जहां भी बीएसएफ को तैनात किया गया, हर मोर्चे पर बल ने बहुत अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी निभाई है. ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति, खुफिया एजेंसियों की सटीक सूचनाओं और भारतीय सेना की मारक क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन है. कई दशकों से देश पाक-प्रेरित आतंकवाद का सामना कर रहा है और पाकिस्तान ने सालों तक कई बड़ी आतंकी घटनाएं की लेकिन उनका उचित जवाब कभी नहीं दिया गया. लेकिन मोदी सरकार बनने के बाद आतंकियों को करारा जवाब दिया जा रहा है. आज दुनिया और देश सेना और बीएसएफ पर गर्व कर रहा है.

बीएसएफ ने सीमा पर गोली का जवाब गोली से देकर यह बता दिया कि जब तक वह है तब तक पाकिस्तानी सेना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि भारत की 15 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी और सबसे कठिन सीमा की सुरक्षा बीएसएफ करता है. पिछले 5 साल में कई तकनीकी समाधान ढूंढने का प्रयास किया है. जहां बाड़ नहीं लग सकती वहां सीमा की सुरक्षा तकनीक के माध्यम से करने के लिए दुनियाभर के तकनीक को अपनाने का काम किया जा रहा है. साथ ही कई स्वदेशी निर्मित तकनीक का भी विकास किया गया है ताकि भौगोलिक विषमता वाली सीमाओं की सुरक्षा को सशक्त बनाया जा सके. 

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