Agriculture: देश में गन्ना किसानों के हित में केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया है. गन्ने पर रिसर्च के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में अलग टीम का गठन किया जायेगा. यह टीम तय करेगी कि देश में गन्ने की नीति कैसी होनी चाहिए ताकि किसानों को अधिक से अधिक फायदा हो सके. मंगलवार को देश में गन्ने की अर्थव्यवस्था पर आयोजित एक राष्ट्रीय परामर्श में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि गन्ने की 238 वैरायटी में चीनी की मात्रा अच्छी निकली है लेकिन इसमें रेड रॉट की समस्या आ रही है.
ऐसे में यह सोचने की बात है कि एक वैरायटी कितने साल चल सकती है. इसके लिए दूसरी वैरायटी पर भी काम करना होगा. सबसे बड़ा सवाल है रोगों का मुकाबला करना क्योंकि नयी वैरायटी आती है नये तरह के रोग भी आते हैं. मोनोक्रॉपिंग अनेक रोगों को निमंत्रण देती है और नाइट्रोजन फिक्सेशन की समस्या भी पैदा होती है. एक फसल पोषक तत्वों को कम कर देती है. यह देखा जाना चाहिए कि मोनो क्रॉपिंग की जगह इंटरक्रॉपिंग कितनी व्यावहारिक है.
बायो प्रोडक्ट के महत्व को उपयोगी बनाने की जरूरत
कृषि मंत्री ने कहा बायो प्रोडक्ट और कैसे उपयोगी हो सकते हैं इस पर विचार करना चाहिए. एथेनॉल का अपना महत्व है. मोलासेस की अपनी उपयोगिता है. इससे कौन-कौन से उत्पाद बन सकते है ताकि किसानों की आमदनी बढ़े, इस पर गौर करना चाहिए. यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि प्राकृतिक खेती उर्वरक की समस्या दूर कर सकती है. वैल्यू चेन को लेकर किसानों की शिकायत व्यवहारिक है. चीनी मिलों की अपनी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन किसानों को गन्ने के भुगतान में देरी होती है. मजदूरी की भी समस्या है. श्रमिक आसानी से नहीं मिलते है. ऐसे में इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि क्या ट्रेनिंग देकर कैपेसिटी बिल्डिंग का काम हो सकता है.
इंटरक्रॉपिंग से आमदनी और सस्टेनेबिलिटी को मिलेगा बढ़ावा
आईसीएआर महानिदेशक और डेयरी सचिव डॉक्टर एमएल जाट ने रिसर्च के लिए चार प्रमुख फोकस एरिया बताते हुए कहा कि रिसर्च में क्या फोकस करना है, रिसर्च आगे ले जाने के लिए क्या डेवलपमेंट के मुद्दे हैं, इंडस्ट्री से संबंधित क्या मुद्दे हैं और पॉलिसी से संबंधित क्या कदम उठाए जाने चाहिए इस बात पर ध्यान दिया जाता है. गन्ने में पानी और उर्वरक का भी काफी इस्तेमाल होता है. पानी की समस्या दूर करने के लिए कई रिसर्च हुए हैं. महाराष्ट्र की तरह अन्य जगहों पर भी गन्ने में माइक्रो इरिगेशन हो तो पानी की बचत होगी. उसी तरह उर्वरक का अधिक इस्तेमाल भी अच्छा नहीं है.
उर्वरकों की एफिशिएंसी बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मोनोक्रॉपिंग दूर करने के लिए विविधीकरण आवश्यक है. गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग में दलहन और तिलहन का प्रयोग किया जा सकता है. देश में दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाने की कोशिश भी चल रही है. इंटरक्रॉपिंग से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा.

