AAP: दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी एक बार फिर युवाओं को साथ जोड़ने की मुहिम में जुट गयी है. अन्ना आंदोलन में युवा की सक्रिय भागीदारी के कारण ही आम आदमी पार्टी का गठन हुआ है और राजनीतिक तौर पर पार्टी खुद को स्थापित करने में कामयाब रही. दिल्ली की सत्ता के बाद नगर निगम की सत्ता से बेदखल होने, पार्टी में विरोध के उभरते स्वर को देखते हुए फिर से युवाओं को साधने की कवायद में अरविंद केजरीवाल जुट गये है. हाल ही में पार्टी ने छात्र विंग एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स यानि एएसएपी को शुरू करने की घोषणा की थी. शुक्रवार को पार्टी के छात्र संगठन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा की है.
इसके लिए पार्टी के छात्र संगठन की ओर से छात्रों को जोड़ने के लिए मेंबरशिप नंबर 8588833485 जारी किया. गौर करने वाली बात है कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद भी आम आदमी पार्टी की ओर से छात्र संगठन का गठन किया गया था और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में हिस्सा भी लिया था. लेकिन इन चुनावों में आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन को कोई कामयाबी नहीं मिली और यह संगठन सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया. अब देखने वाली बात होगी कि दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन कितनी प्रभावी भूमिका निभा सकता है.
दिल्ली की सियासत में केजरीवाल खुद को स्थापित करने में जुटे
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक कार्यक्रम से दूर रहे. हार के बाद पार्टी की ओर से दिल्ली के संगठन में बदलाव भी किया गया. दिल्ली की हार का असर पंजाब और पार्टी के भविष्य पर पड़ने की संभावना जतायी जाने लगी. दिल्ली में मिली हार के बाद पार्टी ने पंजाब में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की. हालांकि पंजाब में दिल्ली के नेताओं के बढ़ते दखल के खिलाफ भी नाराजगी के स्वर उठने लगे. इस दौरान नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा और कई पार्षदों ने बगावत कर नये दल का गठन कर लिया.
ऐसे में पार्टी के अंदरूनी असंतोष और कार्यकर्ताओं की बढ़ती बेरुखी को देखते हुए पार्टी ने छात्र संगठन के गठन का ऐलान किया. पार्टी की कोशिश यह बताने की है कि अभी भी देश के युवाओं में पार्टी के प्रति आकर्षण है और आने वाले समय में पार्टी प्रमुख विकल्प बनकर उभरेगी. इस कवायद के जरिये दिल्ली की सियासत में अरविंद केजरीवाल खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. केजरीवाल कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि अभी भी लोगों में उनके और पार्टी को लेकर सकारात्मक माहौल है और आने वाले समय में मजबूती से पार्टी दिल्ली की सत्ता में वापसी करेगी.