AAP: दिल्ली की राजनीति में धूमकेतु के तरह उभरी आम आदमी पार्टी को वर्ष 2015 और वर्ष 2020 में ऐतिहासिक जनादेश मिला. भारत के राजनीतिक इतिहास में किसी नयी पार्टी को ऐसा प्रचंड बहुमत हासिल नहीं हुआ था. दिल्ली के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए सरकार बना ली. गुजरात और गोवा में भी पार्टी को अच्छी सफलता मिली और महज एक दशक में आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया. लेकिन दिल्ली में सरकार के दौरान आम आदमी के शीर्ष नेताओं पर शराब घोटाले सहित अन्य मामलों में गंभीर आरोप लगे. पार्टी के कई नेताओं को जेल जाना पड़ा. दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी शराब घोटाले में जेल की हवा खानी पड़ी. भ्रष्टाचार के आरोपों से हिली आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और गठबंधन दिल्ली में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पायी.
हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने सहानुभूति हासिल करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और आतिशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में कल्याणकारी जनाओं और मुफ्त वादों की घोषणा के दम पर आम आदमी को तीसरी बार सरकार बनाने की उम्मीद थी. लेकिन भाजपा लगभग तीन दशक बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो गयी. इस हार के बाद से ही आम आदमी पार्टी के भविष्य पर सवाल उठने लगे. हार के बाद केजरीवाल की सार्वजनिक मंचों से दूरी और पंजाब में सक्रियता बढ़ गयी. लेकिन यह सक्रियता आम आदमी पार्टी के नेताओं का मनोबल बनाए रखने में सफल होती नहीं दिख रही है. ऐसा लगता है कि दिल्ली की हार के बाद आम आदमी पार्टी में टूट का खतरा बढ़ गया है. दिल्ली नगर निगम में पार्टी से पार्षदों की बगावत इसका सबूत है.
नगर निगम में आप पार्षदों ने बनाया तीसरा मोर्चा
आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल के नेतृत्व में पार्टी के 15 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. बागी आप पार्षदों ने इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी नाम से नई पार्टी बनाने की घोषणा की है. इस पार्टी के मुखिया मुकेश गोयल होंगे. साथ ही इसमें 13 पार्षद के रहने का दावा किया गया है. वर्ष 2022 में हुए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भाजपा के 15 साल के शासन का अंत कर जीत हासिल की थी. लेकिन दिल्ली की सत्ता बदलते ही नगर निगम का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया और हाल में हुए मेयर चुनाव में भाजपा के राजा इकबाल सिंह की जीत हुई. हार के डर से आम आदमी ने मेयर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था. पहले भी आप के कई पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके थे.
लेकिन अब 15 पार्षदों का नयी पार्टी बनाने की घोषणा आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका है. जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में कई विधायक भी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं. करीब एक दर्जन विधायक पार्टी के कामकाज से नाराज है और वे नयी पार्टी के गठन का ऐलान कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि दिल्ली में आने वाला समय आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है और इसका असर पंजाब की राजनीति पर भी पड़ना तय माना जा रहा है.