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अयोध्या विवाद पर बोले स्वामी – मुस्लिम समाज मान ले हमारा प्रस्ताव नहीं तो 2018 में लाएंगे कानून

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मंदिर विवाद को संवेदनशील और भावनात्मक मामला बताते हुए सुझाव दिया कि इसका हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मंदिर विवाद को संवेदनशील और भावनात्मक मामला बताते हुए सुझाव दिया कि इसका हल तलाश करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को नये सिरे से प्रयास करना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है. मामले को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव मान ले नहीं तो 2018 में जब राज्यसभा में भाजपा का बहुमत होगा तो कानून बनाकर मंदिर बनाया जाएगा.

बुधवार सुबह सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि सरयू नदी के उस पार मस्जिद बनाने का मेरा प्रस्ताव मुस्लिम समाज को मान लेना चाहिए. अगर मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव नहीं मानता है तो साल 2018 में राज्यसभा में बहुमत होने के बाद मंदिर बनाने के लिए कानून बनाया जाएगा.

मामले को लेकरमंगलवार को मुख्य न्यायाधीश ने सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता की पेशकश भी की. पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल हैं. सुप्रीर्म कोर्ट ने कहा कि यह धर्म और भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. यह ऐसा मसला है, जिसे सुलझाने के लिए सभी पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और सर्वसम्मति से कोई निर्णय लेना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘सर्वसम्मति से किसी समाधान पर पहुंचने के लिए आप नये सिरे से प्रयास कर सकते हैं. अगर जरूरत पड़ी तो आपको इस विवाद को खत्म करने के लिए कोई मध्यस्थ भी चुनना चाहिए. अगर दोनों पक्ष चाहते हैं कि मैं उनके द्वारा चुने गये मध्यस्थों के साथ बैठूं तो मैं इसके लिए तैयार हूं. यहां तक कि इस उद्देश्य के लिए मेरे साथी न्यायाधीशों की सेवाएं भी ली जा सकती है.’

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब भाजपा नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की. स्वामी ने कहा कि इस मामले को छह साल से भी ज्यादा समय हो गया है. इस पर जल्द से जल्द सुनवाई की जरूरत है.

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