नयी दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो गया. बुधवार को न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर देश के नये प्रधान न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभाल ली है. आज राष्ट्रपति भवन में खेहर को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शपथ दिलायी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नये प्रधान न्यायाधीश के तौर खेहर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका एक बार फिर खारिज कर दी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह जनहित में ही होगा कि इसका अब पटाक्षेप किया जाये.
करीब एक साल के कार्यकाल के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कई ऐतिहासिक फैसले दिये. जजों की नियुक्ति समेत कई मामले पर जस्टिस ठाकुर ने कई बार सरकार पर सख्त टिप्पणियां भी की. पिछले साल तो प्रधानमंत्री की मौजूदगी में एक कार्यक्रम के दौरान जजों की कम संख्या का मसला उठाते हुए बेहद भावुक हो गये थे.
जस्टिस ठाकुर को समझने के लिए उनके भाषण का ये हिस्सा काफी है- ‘मैं कोर्ट में और कोर्ट से बाहर बड़ी बेबाकी से बोलता हूं, जहां तक आ गया हूं, उससे आगे जाने की ख्वाहिश नहीं. इसलिए दिल से बोलता हूं.’ वैसे अपने कार्यकाल के दौरान दिये कई अहम फैसलों के लिए जस्टिस ठाकुर याद किये जायेंगे. बीसीसीआइ अध्यक्ष अनुराग ठाकुर व सचिव अजय शिर्के की पद से छुट्टी और जाति-धर्म के नाम पर वोट मांगने पर बैन लगाना, ऐसा ही फैसलों में से एक है.
इन फैसलों से याद किये जायेंगे
प्रदूषण नियंत्रण : इस मामले में जस्टिस ठाकुर अपने अहम फैसलों के लिए हमेशा जाने जायेंगे. भारी वाहनों की दिल्ली में प्रवेश पर प्रदूषण कर, 2000 सीसी से ज्यादा की डीजल गाड़ियों के पंजीकरण पर प्रतिबंध, पटाखों के उत्पादन, स्टोरेज और बिक्री पर रोक जैसे कई अहम फैसले दिये.
क्रिकेट पर अहम फैसले : जस्टिस ठाकुर सबसे ज्यादा यदि किसी मामले में फैसलों के लिए जाने जायेंगे, तो वो है क्रिकेट. स्पॉट फिक्सिंग मामले में बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को हटना पड़ा. बीसीसीआइ में सुधार के लिए लोढ़ा समिति का गठन किया. समिति की सिफारिशें लागू करने में अड़चन डालने पर अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के की पद से हटाने का आदेश दिया.
सहारा व अन्य मामले: जस्टिस ठाकुर ने नशे की वजह से होनेवाले सड़क हादसे कम करने के लिए एक फैसले में हाइवे के किनारे शराब की बिक्री पर पाबंदी लगा दी. वहीं निवेशकों का पैसा ना लौटाने के सेबी-सहारा मामले में समय-समय पर अहम फैसले दिये. गंगा सफाई को लेकर सुनवाई के दौरान कहा कि जिस तरह से सफाई का काम हो रहा है, उस तरह तो 200 साल लग जायेंगे.
धर्म और राजनीति: जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षतावाली संवैधानिक पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) की व्याख्या करते हुए कहा कि धर्म, जाति,भाषा और समुदाय का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता. एेसा करना भ्रष्ट आचरण माना जायेगा.
मांस की बिक्री : जस्टिस टीएस ठाकुर ने पर्व पर्यूषण के दौरान मुंबई में मांस की बिक्री पर रोक लगाये जाने को मंजूर करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि किसी को मांस जबरन नहीं खिलाया जा सकता. लेकिन, दूसरे की रसोई में क्या पक रहा है, ये झांकने की किसी को जरूरत नहीं है.