नयीदिल्ली : दलितों और अल्पसंख्यकों पर हालिया हमलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सामाजिक बुराइयों से ‘‘कठोरता’ और ‘‘संवेदनशीलता’ से निपटे जाने की आवश्यकता है क्योंकि सामाजिक एकता के बिना समाज का जीवित रहना असंभव है.
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में लालकिले की प्राचीर से कहा कि समाज की मजबूती का आधार सामाजिक न्याय है और आर्थिक वृद्धि समाज के सशक्त होने की कोई गारंटी नहीं है.
उन्होंने देशवासियों से सामाजिक समानता और न्याय के लिए काम करने को कहा.
मोदी ने स्पष्ट किया कि सामाजिक सौहार्द देश की प्रगति की चाबी है और महात्मा गांधी तथा बीआर अंबेडकर जैसे सभी संतों तथा हस्तियों ने हर किसी के साथ समान व्यवहार किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘आज हम सामाजिक तनाव देखते हैं. संत रामानुजाचार्य ने क्या संदेश दिया था ? उन्होंने कहा था कि हमें भगवान के सभी भक्तों की किसी पूर्वाग्रह के बिना समानरूप से सेवा करनी चाहिए. किसी का भी उसकी जाति की वजह से अनादर मत करिए.’ मोदी ने कहा, ‘‘भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी, संत रामानुजाचार्य, बीआर अंबेडकर ने जो कहा था, हमारे सभी शास्त्रों, संतों और शिक्षकों ने सामाजिक एकता पर जोर दिया है. जब समाज टूटता है तो साम्राज्य विघटित होता है. जब समाज स्पृश्य और अस्पृश्य, ऊंची और नीची :जातियों: में बॅंटता है तब ऐसा समाज नहीं ठहर सकता.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘होता है, चलता है’ की मनोवृत्ति से सामाजिक बुराइयों से निपटने में मदद नहीं मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘ये बुराइयां सदियों पुरानी हैं तथा इनसे कठोरता और संवेदनशीलता से निपटना होगा.’