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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के विरोध में कांग्रेस ने खटखटाया अदालत का दरवाजा

नयी दिल्ली : रविवार को राष्‍ट्रपति की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया गया है. कांग्रेस ने इसको लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए राष्‍ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है. केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गयी थी और विधायकों की खरीद […]

नयी दिल्ली : रविवार को राष्‍ट्रपति की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया गया है. कांग्रेस ने इसको लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए राष्‍ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है. केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गयी थी और विधायकों की खरीद फरोख्‍त हो रही थी जिसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया है. कांग्रेस ने आज ही उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रदेश में राष्‍ट्रपति शासन के खिलाफ याचिका दायर कर दिया है.उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल ने भी केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में विधायकों की खरीद-फरोख्‍त की बात का उल्लेख किया था.

राष्ट्रपति शासन के बावजूद भी प्रदेश में विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि निलंबित रखा गया है. नौ दिन पहले कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत का पटाक्षेप उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के तौर पर हुआ. राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूर कर ली. ये फैसला उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत परीक्षण से ठीक एक दिन पहले हुआ. सोमवार को रावत सरकार को बहुमत साबित करने का समय मिला था.

उधर उत्तराखंड के स्पीकर गोविंद कुंजल ने रविवार को कहा कि आज मैंने दलबदल विरोधी कानून के तहत सभी 9 बागी विधायकों को विधानसभा हेतू अयोग्य घोषित करने का निर्णय लिया. राष्ट्रपति शासन की कोई अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. कयास लगाये जा रहे हैं कि यहां एक साल राष्ट्रपति शासन ही रहेगा. लेकिन विधानसभा भंग नहीं किया गया है. ऐसे में राज्यपाल किसी भी दल को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं. भाजपा का दावा है कि सरकार बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त आंकड़ा है.

राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए उत्तराखंड से बेहतर कोई उदाहरण नहीं : जेटली

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को आज सही ठहराते हुए कहा कि अनुच्छेद 356 लागू करने का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता क्योंकि हरीश रावत सरकार 18 मार्च को विधानसभा में बहुमत ‘हारने’ के बाद से ही ‘असंवैधानिक’ और ‘अनैतिक’ थी. अरुणाचल प्रदेश के बाद उत्तराखंड में भी सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया वहीं अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य सरकार पिछले नौ दिन से हर रोज संवैधानिक प्रावधानों की ‘हत्या’ कर रही है.

पर्वतीय राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के कुछ ही समय बाद मीडिया से बातचीत में जेटली ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘आवश्यक, प्रासंगिक और अति महत्वपूर्ण आधार’ पर यह फैसला किया. उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 356 को लगाने के लिए इससे बेहतर उदाहरण नहीं है. पिछले नौ दिन से हर रोज संविधान के प्रावधानों की हत्या की जा रही है.’ जेटली ने कहा, ‘यह न केवल उचित है बल्कि समय की मांग भी है कि ऐसी अनैतिक सरकार उत्तराखंड में नहीं रहे जो बहुमत खो चुकी है. उत्तराखंड में संविधान की पूरी तरह अवहेलना हुई.’

सत्ता के प्रति प्यार के कारण जनादेश को नजरअंदाज नहीं करें : राहुल

राहुल गांधी ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर तीखी प्रतिक्रिया जताई और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीधे शब्दों में कहा कि ‘सत्ता के प्रति अपने प्यार के कारण जनादेश को नजरअंदाज नहीं करें.’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने ट्वीटर पर कहा, ‘मोदीजी सत्ता के प्रति अपने प्यार के कारण जनादेश को दरकिनार नहीं कीजिए. कांग्रेस चुनाव लडने के लिए हमेशा तैयार है, जनादेश हासिल कीजिए, उनके अधिकारों का हनन मत कीजिए.’

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कडे शब्दों में बयान जारी किया. उन्होंने कहा, ‘अरुणाचल के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिनदहाडे लोकतंत्र की हत्या हुई है, संवैधानिक अधिकारों का हनन हुआ है और मोदी सरकार ने राजधर्म के टुकडे-टुकडे कर दिए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अपनी सरकार को गिराने के षड्यंत्र से नहीं डिगेगी, नहीं डरेगी और पीछे नहीं हटेगी.’ सुरजेवाला ने कहा, ‘हम अपने पूरे संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करेंगे. इसके अलावा लडाई को जनता की अदालत में ले जाएंगे.’ उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘विश्वास’ है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा ‘दंडित’ होगी.

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