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झुग्गी बस्ती तोड़-फोड़ मामला : मजिस्ट्रेट जांच के आदेश

नयी दिल्ली :दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच यहां रेलवे द्वारा झुग्गियां तोडने तथा मौके पर एक बच्चे की मौत को लेकर आज एक नया टकराव उत्पन्न हो गया. नाराज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका विरोध किया और कहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए. दिल्ली सरकार ने पश्चिमी दिल्ली […]

नयी दिल्ली :दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच यहां रेलवे द्वारा झुग्गियां तोडने तथा मौके पर एक बच्चे की मौत को लेकर आज एक नया टकराव उत्पन्न हो गया. नाराज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका विरोध किया और कहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए.

दिल्ली सरकार ने पश्चिमी दिल्ली के शकूरबस्ती में 1200 झुग्गियां तोडने के मामले की एक मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दे दिया है. दिल्ली सरकार ने उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए अदालत जाने की योजना बनायी है जिन्होंने विशेष प्रावधान कानून का उल्लेख करते हुए कार्रवाई का आदेश दिया था. इस कानून के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तब तक नहीं की जा सकती जब तक सरकार को भूमि की तत्काल जरुरत नहीं हो.

रेलवे ने अपनी ओर से कहा कि ‘‘ताजा अतिक्रमण’ हटाना आधारभूत ढांचे के विस्तार के लिए जरुरी था तथा यह कार्रवाई तीन नोटिस जारी करने के बाद की गई. पहले नोटिस की आखिरी समयसीमा 14 मार्च 2015 थी. एक झुग्गी में छह महीने के एक बच्चे की मौत हो गई। रेलवे ने कहा कि बच्चे की मौत का ‘‘अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से कोई लेना देना नहीं है.’ रेलवे ने दावा किया कि बच्चे की मौत 12 बजे अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरु होने से दो घंटे पहले हुई.

पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया बच्चे की मौत तब दम घुटने से हुई जब कपडों का एक ढेर उसके उपर गिर गया. पुलिस के अनुसार बच्चे पर कपडों का ढेर तब गिरा जब उसके अभिभावक झुग्गी खाली करने की तैयारी कर रहे थे इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.केजरीवाल ने रेलवे को आडे हाथ लेते हुए दो सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट और एक अधीक्षण अभियंता को हटाये गए लोगों को भोजन एवं आश्रय का इंतजाम करने में ‘‘विफल रहने’ के लिए निलंबित कर दिया.

विवाद उत्पन्न होने पर दिल्ली डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक अरुण अरोडा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अतिक्रमण ट्रेन संचालन के लिए एक ‘‘खतरा’ बन गया था क्योंकि झुग्गियां सुरक्षा जोन के 15 मीटर के दायरे में थीं.उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी आदेश दिया था कि पटरियों से ठोस कचरा साफ किया जाए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए रेलवे को ‘‘स्रोत हटाना’ था. अरोडा ने कहा कि झुग्गी वासियों को 14 मार्च 2015 को जमीन खाली करने का पहला नोटिस जारी किया गया था. यद्यपि तब अतिक्रमण नहीं जा सका था क्योंकि तब पुलिस सहायता नहीं मुहैया करा पायी.

उन्होंने कहा कि उसके बाद उन्हें दो और नोटिस दिये गए जिसकी समयसीमा 30 सितम्बर 2015 और आखिरी समयसीमा 12 दिसम्बर 2015 :कल: थी. केजरीवाल ने कल रात मौके का दौरा किया और ऐसे समय तोडफोड कार्रवाई संचालित करने के लिए रेलवे की आलोचना की जब तापमान में तेज गिरावट दर्ज की गई है.

उन्होंने अधिकारियों को कार्रवाई से बेघर हुए लोगों को तत्काल कंबल और भोजन मुहैया कराने का आदेश दिया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यहां एक बच्चे की मौत हुई है. यह बहुत दुखद है और मेरा मानना है कि अधिकारियों के खिलाफ हत्या का एक मामला दर्ज किया जाना चाहिए. मुआवजा उनसे लिया जाएगा.

इसे उन अधिकारियों के वेतन से काटा जाना चाहिए जिन्होंने ये कार्रवाई की.’ शाम को वरिष्ठ रेल अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की और उन्हें समझाया कि झुग्गियों को क्या तोडा गया लेकिन दोनों पक्षों के बीच ‘‘मतभेद’ बरकरार रहे. केजरीवाल से मुलाकात करने वाले अधिकारियों में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ए के पुथिया और दिल्ली डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक अरुण अरोडा शामिल थे.दिल्ली सरकार के सूत्रों ने कहा कि ‘‘मुख्यमंत्री रेल अधिकारियों के जवाब से खुश नहीं हैं’ और वह मामले को रेल मंत्री :सुरेश प्रभु: के समक्ष उठाएंगे.

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