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केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये बंद

देहरादून: गढवाल हिमालय में स्थित विश्व प्रसिद्घ धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट आज भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल में श्रद्घालुओं के दर्शन हेतु बंद हो गये. केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल भीमशंकर लिंग शिवाचार्य स्वामीजी ने बताया, ‘‘मंदिर के कपाट आज सुबह आठ बजे पारंपरिक पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ […]

देहरादून: गढवाल हिमालय में स्थित विश्व प्रसिद्घ धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट आज भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल में श्रद्घालुओं के दर्शन हेतु बंद हो गये. केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल भीमशंकर लिंग शिवाचार्य स्वामीजी ने बताया, ‘‘मंदिर के कपाट आज सुबह आठ बजे पारंपरिक पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये.
इस दौरान भीषण ठंड के बावजूद बडी संख्या में श्रद्घालु, मंदिर समिति के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे .” उन्होंने बताया, ‘‘कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव की मूर्ति को एक डोली में बैठाकर निकटवर्ती उखीमठ के ओंमकारेशवर मंदिर की ओर रवाना कर दिया गया. भगवान शिव की डोली रामपुर और गुप्तकाशी होते हुए परसों ओमकारेश्वर मंदिर में पहुंचेगी जहां शीतकाल के दौरान उनके दर्शन किये जा सकेंगे.
” रावल ने बताया, ‘‘इस वर्ष के यात्रा सीजन में कुल 1.52 लाख श्रद्घालु केदारनाथ धाम के दर्शन हेतु पहुंचे और यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 50 हजार ज्यादा है.” उन्होंने कहा कि श्रद्घालुओं की बढती संख्या इस बात का संकेत है कि यात्रा रुट पर यात्रियों के लिये सुविधायें पहले से बेहतर हुई हैं और यात्रा के दौरान सुरक्षा को लेकर भी उनमें विश्वास बढ रहा है.केदारनाथ और उसके आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 2013 के मध्य में भीषण प्राकृतिक आपदा से भयंकर तबाही हुई थी. हालांकि, उसके बाद से केदारनाथ में युद्घस्तर पर पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है.
गढवाल हिमालय में समुद्रतल से 11,755 फीट की उंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर और अन्य तीनों धामों, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर साल अक्तूबर-नवंबर में शीतकाल के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं.छह माह के यात्रा सीजन के दौरान देश विदेश से लाखों श्रद्घालु और पर्यटक उत्तराखंड आते हैं और चारधाम यात्रा को गढवाल हिमालय की आर्थिक रीढ माना जाता है.

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