नयी दिल्ली : लश्कर–ए–तय्यबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा के करीबी सहायक मोहम्मद जकारिया को दिल्ली की एक अदालत ने आज 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. अदालत ने उसे तब पुलिस हिरासत में भेज दिया जब जांच अधिकारियों ने कहा कि उसने बांग्लादेश के रास्ते भारत में पाकिस्तानी नागरिकों की अवैध घुसपैठ कराने में मदद की थी.
जकारिया को उसके खिलाफ जारी पेशी वारंट के मद्देनजर मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमित बंसल के समक्ष पेश किया गया. वह कोलकाता के प्रेसीडेंसी जेल में बंद है. जकारिया से हिरासत में पूछताछ की मांग करते हुए दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने अदालत से कहा कि 1994 में जब टुंडा पाकिस्तान गया था तो जकारिया ने ही अवैध तरीके से बांग्लादेश में घुसने में उसकी मदद की थी. जकारिया टुंडा का ससुर है. बांग्लादेश से टुंडा पाकिस्तान चला गया था.
जकारिया को पश्चिम बंगाल पुलिस ने कुछ अन्य मामलों में गिरफ्तार किया था. वह पाकिस्तानी नागरिकों की भारत में घुसपैठ में मदद करने का आरोपी है. टुंडा भी इस मामले में पुलिस हिरासत में है.
जकारिया की भूमिका का ब्योरा देते हुए पुलिस ने कहा कि उसने कुछ पाकिस्तानी नागरिकों की विभिन्न आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए भारत में घुसपैठ कराने में भी मदद की थी. ये आतंकवादी हमले दिल्ली और उसके आस–पास में 1998 में हुए थे.
पुलिस ने अन्य आरोपियों मोहम्मद बसीरुद्दीन और अलाउद्दीन से सामना कराने के लिए जकारिया की हिरासत की भी मांग की. पुलिस ने कहा कि उसे उन स्थानों पर ले जाया जाएगा जहां से उसने पाकिस्तानी नागरिकों की भारत में घुसपैठ कराने में मदद की. अदालत ने पुलिस का अनुरोध स्वीकार करते हुये जकारिया को 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.
पुलिस ने इससे पहले कहा था कि अलाउद्दीन पश्चिम बंगाल के उत्तरी दीनाजपुर में जेल में है और उसकी हिरासत की मांग की गई है. पुलिस ने इससे पहले टुंडा की हिरासत की भी मांग की थी ताकि अलाउद्दीन और जकारिया से उसका सामना कराया जा सके. साथ ही अन्य सह आरोपियों को पकड़ने के लिए उसे पश्चिम बंगाल ले जाने की भी मांग की थी.
पुलिस ने कहा था कि टुंडा का मौजूदा मामले में उसकी संलिप्तता के लिए शफीक–उल–इस्लाम से भी सामना कराये जाने की जरुरत है. पुलिस ने कहा था, टुंडा ने खुलासा किया कि उसने मौजूदा मामले में गिरफ्तार आरोपियों (पाकिस्तानी नागरिकों) की भारत में उनकी घुसपैठ कराने में अलाउद्दीन और जकारिया के साथ मिलकर मदद की थी. उन्होंने अदालत से कहा था कि दो बांग्लादेशी नागरिकों अब्दुल और माती–उर–रहमान को 27 फरवरी 1998 को गिरफ्तार किया गया था और अभियोगात्मक सामग्री के साथ–साथ उनके पास से हथगोला भी बरामद किया गया था.
पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान उन्होंने विभिन्न आतंकवादी हमलों में अपनी संलिप्तता की बात मानी और कहा कि यह टुंडा है जिसने उसकी भारत में घुसपैठ कराने में मदद की थी.
पाकिस्तानी नागरिकों समेत 11 अन्य को भी गिरफ्तार किया गया था. उनके नाम मोहम्मद आमिर खान, मोहम्मद शकील, अब्दुल बाकी, अब्दुल रहमान, मकसूद अहमद, मोहम्मद अजाज, मोहम्मद हुसैन, हिमाम शेख, मोहम्मद उमर, मोहम्मद शफीकुल और अब्दुल कासिम है.
टुंडा को भारत–नेपाल सीमा से 16 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. उसे समूचे भारत में 37 बम धमाकों के सिलसिले में पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया था.