नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद में जल्दबाजी में पारित कराया और भाजपा भी इसे समर्थन देने की दोषी है. संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर जारी खींचतान के बीच मोदी ने कहा, आपको इसके इतिहास को समझना होगा.
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर 120 वर्ष के बाद विचार किया जा रहा है. क्या इतने पुराने विधेयक पर विचार के लिए 120 घंटे भी दिए गए? नहीं दिए गए. ऐसा नहीं है कि इसके लिए सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है. भाजपा के नाते हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हमने इसका समर्थन किया.मोदी ने एक प्रमुख हिंदी दैनिक में आज प्रकाशित इंटरव्यू में कहा, चुनाव सिर पर थे और संसद का सत्र पूरा होना था. इसीलिए जल्दबाजी में फैसला किया गया. बाद में, प्रत्येक राज्य ने महसूस किया कि यह तो बडा संकट है.
मुझे सरकार बनने के बाद करीब- करीब सभी मुख्यमंत्रियों ने एक ही बात कही कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को ठीक करना पडेगा, वर्ना हम काम नहीं कर पाएंगे. हमारे पास लिखित चिट्ठियां हैं. वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि भूमि अधिग्रहण पर कांग्रेस आक्रामक है जिससे लगता है कि सरकार की तरफ से कहीं कोई कमी रह गई. मोदी ने आरोप लगाया कि निहित स्वार्थों के कारण भूमि अधिग्रहण विधेयक में परिवर्तनों को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, किसी न किसी राजनीतिक स्वार्थ के माहौल के कारण सत्य पहुंचने में अनेक रुकावटें आई हैं. हमारे विरोधी यह भ्रम फैलाने में सफल हुए हैं कि भूमि अधिग्रहण विधेयक आने के बाद कोरपोरेट घरानों के लिए जमीन ले ली जाएगी, जबकि हकीकत यह है कि कोरपोरेट के लिए जमीन लेने के मामले में हमने 2013 के विधेयक में मौजूद प्रावधानों को रत्ती भर भी नहीं बदला है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में शामिल किए गए सुधारों से कोरपोरेट्स को एक इंच जमीन भी मिलने में सुविधा नहीं होगी. यह सरासर झूठ है, लेकिन फैलाया जा रहा है प्रधानमंत्री ने कहा, भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव करना, ये न भाजपा का एजेंडा है और न ही मेरी सरकार का.
करीब सभी राज्य सरकारों की तरफ से इसमें बदलाव का आग्रह था. राज्यसभा में, जहां भाजपा अल्पमत में है, इस विधेयक को मंजूर कराने में सरकार के सामने आ रही दिक्कतों के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि उच्च सदन को लोकसभा में इस विधेयक को दिए गए समर्थन के फैसले और उससे भी अधिक देशहित से जुडे मामलों का सम्मान करना चाहिए.
संसद के कामकाज का जहां तक सवाल है, मोदी ने कहा कि सत्ता में रहते हुए सरकार की भूमिका सबको साथ लेकर चलने की होनी चाहिए. यही वजह है कि संसद में 40 विधेयक पारित किए गए. काले धन की समस्या से निपटने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा, हमने काला धन वापस लाने के लिए दुनिया के देशों से भी मदद मांगी और जी-20 में हमने प्रस्ताव भी पारित कराया.
अब संसद में भी काले धन के खिलाफ कठोर कानून बना रहे हैं, जिससे विदेशों में छिपा हुआ काला धन वापस आने की संभावना भी बढेगी और भविष्य में भी लोग इस तरह का धन जमा करने से डरेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके सहयोगियों के कुछ वक्तव्य उनको और पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, मोदी ने स्वीकार किया कि इस तरह के वक्तव्य देश को नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने कहा, इस तरह की बात कहने से बचना चाहिए. लोगों को भी इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
