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पहले भी उठ चुकी हैं दाऊद इब्राहिम की गिरफ्तारी की खबरें

दाऊद इब्राहिम की गिरफ्तारी पर सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी नीरज कुमार एक अंग्रेजी अखबार को दिए बयान के सामने आने के बाद ये मुद्दा एक बार फिर से सुर्ख़ियों में आ गया है लेकिन हम आपको बता दें की दाऊद की गिरफ्तारी को लेकर भारत सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयासों की बात […]

दाऊद इब्राहिम की गिरफ्तारी पर सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी नीरज कुमार एक अंग्रेजी अखबार को दिए बयान के सामने आने के बाद ये मुद्दा एक बार फिर से सुर्ख़ियों में आ गया है लेकिन हम आपको बता दें की दाऊद की गिरफ्तारी को लेकर भारत सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयासों की बात पहले भी चर्चा में आ चुकी है. इसके अलावा देश के एक पूर्व गृह मंत्री पर दाऊद इब्राहिम के किसी खास करीबी आदमी पर दिल्ली पुलिस को हाथ डालने से रोकने का आरोप भी लग चुका है.
आइये, दाऊद की गिरफ़्तारी से जुडी उन घटनाओं और आरोपों के बारे में हम आपकी याद ताजा करवाते हैं. सबसे पहले ये खबर साल 2014 के जनवरी महीने में सामने आई थी. उस समय तत्कालीन एनडीए सरकार में सुशील कुमार शिंदे देश के गृह मंत्री थे. गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपने एक बयान में ये स्वीकार किया था कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में है. उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है. शिंदे ने उस समय ये कहा था कि भारत ने इस संबंध में यूएस अटार्नी जनरल से बात की है. अमेरिका ने हमें सहयोग का आश्वासन दिया है.
सुशील शिंदे ने दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था कि अमेरिका की मदद से दाऊद को पकड़ने की कोशिश भारत सरकार कर रही है. हमें दाऊद के ठिकाने के बारे में कुछ जानकारी हासिल हुई है.
अपने इस बयान के दो दिन पहले ही शिंदे ने ये भी कहा था कि दाऊद को ट्रैक किया जा रहा है और उसे भारत लाने की कोशिश की जा रही है. शिंदे ने कहा था कि दाऊद को भारत लाने के लिए सरकार एफबीआई के संपर्क में है. ऐसी जानकरी भी सामने आई थी कि एफबीआई प्रमुख ने दाऊद इब्राहिम को पकड़ने में भारत की मदद का भरोसा दिया था. उस समय ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि मुमकिन है कि भारतीय और अमेरिकी जांच एजेंसियों के ज्वाइंट ऑपरेशन के जरिए दाऊद को पकड़ा जाए.
सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि दाऊद इब्राहिम को गिरफ्तार करने के लिए भारत सरकार अमेरिका के एफबीआई के संपर्क में है. मैंने खुद एफबीआई के अधिकारियों के बात की है. उन्होंने हमें मदद का भरोसा दिया था. हमने एफबीआई को दाऊद के ठिकानों की जानकारी दे दी है.
शिंदे की तरफ से मीडिया में खुलेआम इस बात का खुलासा किये जाने से मीडिया में इस बात पर सवाल भी उठने लगे थे कि
अगर दाऊद जैसे आतंकी को गिरफ्तार करने के लिए भारत सरकार इतनी गंभीर है तो इस प्लान का खुलासा सार्वजनिक मंच पर क्यों किया जा रहा है.
उस दौरान एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी ने भी शिंदे के इस सार्वजनिक बयान की आलोचना की थी. मोदी ने कहा था कि ऐसे आपरेशन बयान जारी कर नहीं होते.
उस समय नरेन्द्र मोदी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या ऐसे काम मीडिया के माध्यम से किए जा सकते हैं ! क्या ये चीजें अखबारों में लीक की जानी चाहिए. उन्होंने पाकिस्तान की धरती पर अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की ओर इशारा करते हुए कहा था की अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले उससे बात नहीं की थी और ना ही लादेन तक पहुंचने के अपने प्लान के बारे में मीडिया को बताया था. शिंदे के बयान को बचकाना बताते हुए उन्होंने कहा था कि मुझे शर्म आती है कि गृह मंत्री इस तरह का बयान देते हैं.
इसके अलावा पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने भी साल 2014 में भाजपा का दामन थामने के बाद सुशील कुमार शिंदे पर आरोप लगाते हुए कहा था कि गृह मंत्री रहते हुए सुशील कुमार शिंदे ने माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के एक करीबी पर हाथ डालने से दिल्ली पुलिस को रोका था.
आर के सिंह ने अपने बयान में शिंदे पर कई और गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि आईपीएल मैच फिक्सिंग में एक बिजनेसमैन का नाम आ रहा था. इस व्यक्ति के दाऊद का करीबी होने का शक था. मगर जब पुलिस ने उसकी जांच करने की पहल की, तो शिंदे उसके बचाव में आ गए. सिंह ने दावा किया कि वह ऐसी कई बैठकों में मौजूद थे, जब शिंदे ने दिल्ली पुलिस के काम में हस्तक्षेप किया.
वहीं दाऊद इब्राहिम को लेकर शिंदे के बयान पर पूर्व गृह सचिव सिंह ने कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई को दाऊद के बारे में कोई जानकारी नहीं है. सिंह के इस बयान के चंद रोज पहले ही शिंदे ने दावा किया था कि भारतीय पुलिस एफबीआई के सहयोग से जल्द ही दाऊद को भारत ले आएगी.

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