नयी दिल्ली : दाऊद इब्राहिम के आत्मसमर्पण के मामले में तत्कालीन डीआईजी नीरज कुमार अपने बयान से पलट गये हैं. उन्होंने कहा कि रिपोर्टर ने अनौपचारिक बातचीत को तोड़ मरोड़कर पेश किया है. हालांकि नीरज कुमार ने इस बात को स्वीकार किया कि दाऊद से उनकी बातचीत हुई थी लेकिन उसने कभी आत्मसमर्पण की पेशकश नहीं की थी.
गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने बयान दिया था कि 1993 मुंबई बम ब्लास्ट का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम आत्मसमर्पण करना चाहता था. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिये गये इंटरव्यू में नीरज कुमार ने बताया था कि दाऊद आत्मसमर्पण के लिए तैयार था. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कोई दुश्मन उसकी हत्या न कर दे.
1993 से 2002 तक सीबीआई में रहे नीरज कुमार ने बताया कि दाऊद से उनका संपर्क मनीष लाला ने कराया था. मनीष लाला दाऊद का कानूनी सलाहकार था. वह लाला से मुंबई के आर्थर रोड के जेल में मिला था.
नीरज कुमार ने बताया कि 1993 के ब्लास्ट के 15 महीने बाद वे आत्मसमर्पण करना चाहता था. उन्होंने कहा कि दाऊद मुंबई बम ब्लास्ट में अपनी बेगुनाही साबित करना चाहता था, लेकिन पुलिस के पास उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. दाऊद ने यह भी शर्त रखा था कि पुलिस उसे टार्चर नहीं करेगी और घर में नजरबंद रखेगी.
दिल्ली के पूर्व कमिश्नर रहे नीरज ने बताया कि मेरे मामले से हटने के बाद भी दाऊद ने मुझसे संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन जब मुझे बात करने की इजाजत नहीं थी, तो मैंने खुद को बातचीत से दूर रखा.गौरतलब है कि इससे पहले राम जेठमलानी भी कह चुके हैं कि दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था. इसके लिए दाऊद ने जेठमलानी को फोन भी किया था.