लखनउ : बसपा मुखिया मायावती ने मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति बंद करने के लिए मुसलमानों से उनका मताधिकार वापस ले लेने की शिवसेना की मांग के पीछे भाजपा की शह होने का आरोप लगाते हुए चुनौती दी है कि यदि ऐसा नहीं है तो भाजपा उसे केंद्र सरकार से बाहर करके दिखाये.
मायावती ने आज संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की 124वीं जयंती समारोह में कहा, ‘ शिवसेना का यह कहना संविधान के खिलाफ है कि मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति बंद करने के लिए मुसलमानों से वोट का अधिकार वापस ले लिया जाना चाहिए.’ उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना ने जो कहा वह भाजपा के इशारे पर कहा है और यदि ऐसा नहीं है तो उसे केंद्र में सत्तारुढ गठबंधन सरकार से शिवसेना को बाहर कर देना चाहिए.
लोकसभा चुनाव में एक भी सीट जीत पाने में नाकाम रही बसपा की मुखिया ने अपने दलित जनाधार को बिखरने से बचाने की कोशिश में कांग्रेस और भाजपा समेत सभी दलों पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. अम्बेडकर जयंती पर विभिन्न दलों द्वारा आयोजित किये जा रहे समारोहों और कार्यक्रमों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘ कांगे्रस, भाजपा और सपा का अम्बेडकर प्रेम राजनीति से प्रेरित है.’
बसपा मुखिया ने इतिहास के पन्ने पलटते हुए कहा कि कांग्रेस ने वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में मुंबई से चुनाव में उतरे अम्बेडकर के खिलाफ अपना उम्मीदवार खडा करके और धन बल से उन्हें हरा दिया. उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस के मन में अंबेडकर के प्रति सम्मान होता तो वह उन्हें निर्विरोध चुनाव जितवाती. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लगातार सत्ता में रही कांग्रेस सरकार ने अम्बेडकर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित नहीं किया.
मायावती ने दावा किया कि वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की गठबंधन सरकार ने अम्बेडकर को बसपा के समर्थन के बदले में ‘भारत रत्न’ दिया था. बसपा मुखिया ने दावा किया कि विश्वनाथ प्रताप सरकार ने उसके ही समर्थन के बदले ‘ मंडल आयोग’ की सिफारिशें लागू की थी.
बसपा संस्थापक कांशीराम के लिए ‘भारत रत्न’ की मांग करती रहीं मायावती ने दलित समुदाय को आगाह करने के अंदाज में कहा, ‘ हो सकता है कि केंद्र में सत्तारुढ भाजपा नीत राजग सरकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए कांशीराम को ‘भारत रत्न’ सम्मान दे दे और दिल्ली में अलीपुर मार्ग पर बाबा साहेब ने जिस बंगले में अंतिम सांस ली उसे उनका स्मारक घोषित कर दे. मगर इससे भ्रमित होने की जरुरत नहीं है.’
बसपा मुखिया ने केंद्र में सत्तारुढ नरेन्द्र मोदी सरकार के दस महीने के कामकाज को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इसका जनाधार घट रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन साल सत्ता में पूरे कर चुके समाजवादी पार्टी भी अपनी स्थिति को लेकर परेशान है. मायावती ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए मुसलमानों से बसपा को एकजुट समर्थन की अपील करते हुए आरोप लगाया कि सपा और भाजपा अपनी खराब स्थिति को देखते हुए आपस में सांठगांठ करके साम्प्रदायिक दंगे करवा सकते हैं.
बसपा मुखिया ने केंद्र में सत्तारुढ नरेन्द्र मोदी सरकार पर परोक्ष रुप से दलितों और पिछडों को आरक्षण के अधिकार से वंचित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि,’ सरकारी विभागों के बडे बडे काम निजी क्षेत्र के उद्यमियों को दिये जा रहे हैं .. ताकि अजा, अजज और अन्य पिछडा वर्ग के लोगों को आरक्षण का पूरा लाभ न मिलने पाये.’उन्होंने प्रोन्नति में आरक्षण का अधिकार खत्म कर देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने मामले की सही ढंग से पैरवी नहीं की और अब उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार इस कानून के तहत प्रोन्नति पाये अधिकारियों की पदावनति करने जा रही है.
अखिलेश सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा मुखिया ने कहा,’ सपा सरकार कानून एवं व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने के लिए चाहे हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगा दे , कानून एवं व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है. इसका कारण यह है कि आपराधिक तत्वों, माफियाओं को बढावा इसी सरकार में मिल रहा है.’ बसपा सरकार के कार्यकाल दौरान कई घोटालों में परिजनों का नाम आने को लेकर विरोधी दलों के हमलों की ओर इशारा करते हुए मायावती ने कहा ‘मेरे परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं है. मगर नौकरी चाकरी और व्यवसाय और व्यापार करने का अधिकार सब को है, हमारे परिवार के लोग करते हैं तो इसमें क्या बुराई है.’