नयी दिल्लीः बहुप्रतीक्षीत बीमा विधेयक आज राज्यसभा में भी पारित हो गया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. कांग्रेस के समर्थन के बाद यह बिल आसानी से राज्यसभा से भी पास हो गया. इस बिल में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 26 से 49% करने का प्रस्ताव है.राज्यसभा से बीमा बिल का पास होना नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी सफलता माना जा रहा है. बीमा बिल के जरिये सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह बीमा- रक्षा समेत तमाम सेक्टरों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहती है.
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि यह विधेयक केवल जीवन बीमा से ही संबंधित नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें अपने देश में स्वास्थ्य बीमा, फसल बीमा जैसे साधारण बीमा के विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत बनाना है.उन्होंने कहा कि देश के बीमा क्षेत्र में पूंजी की बहुत आवश्यकता है क्योंकि देश में जैसे जैसे बीमा क्षेत्र का प्रसार होगा, दावों के भुगतान के लिए धन की जरुरत होगी. उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा सराहनीय कार्य कर रही है.
सिन्हा ने कहा कि आज एलआईसी जैसी एक नहीं दस कंपनियों की जरुरत है. ऐसी कंपनियां विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में समर्थ होनी चाहिए. उन्होंने रेलवे द्वारा एलआईसी से किये गये सहमति करार का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि हमारी जीवन बीमा कंपनियां मजबूत होंगी तो आधारभूत क्षेत्र के लिए हमें अधिक निवेश मिल सकेगा.
उन्होंने कहा कि जब हमारे सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं तो एलआईसी और जीआईसी इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा क्यों नहीं कर सकते.विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कुछ सदस्यों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढाए जाने का विरोध किया जबकि अधिकतर सदस्यों ने बीमाधारकों के हितों की रक्षा की जरुरत पर बल दिया.
कांग्रेस के एम वी राजीव गौडा ने चर्चा आरंभ करते हुए कहा कि राजग सरकार संप्रग सरकार के ही प्रयासों को आगे बढा रही है और अब वह इसके दायरे का विस्तार कर रही है. उन्होंने कहा कि देश में बेहतर बीमा बाजार की जररत है और अधिकतम लोगों को इसके दायरे में लाया जाना चाहिये क्योंकि देश के लगभग 90 प्रतिशत लोगों के पास कोई बीमा नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का लाभ गरीब से गरीब को मिले इसे सुनिश्चित करना चाहिये और बीमा उत्पादों का विविधीकरण होना चाहिये. उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 प्रतिशत पर सीमित कर भारतीय स्वामित्व को सुनिश्चित किया जाना चाहिये.
भाजपा के चन्दन मित्र ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक को ज्यादा से ज्यादा पक्षों के साथ बातचीत कर तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा का कवरेज देश में अभी भी बहुत कम लोगों को प्राप्त है जिसे बढाने की आवश्यकता है और बीमा की पहुंच का विस्तार करने के लिहाज से भी यह विधेयक महत्वपूर्ण है.
मित्र ने कहा कि बीमा सुविधाओं को प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में कम है और सरकार की इस पहल से इस दिशा में प्रगति होगी. उन्होंने तमाम विकसित देशों का उदाहरण दिया जहां बीमा के क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति प्राप्त है.समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि यह धारणा बनाई जा रही है कि एफडीआई की सीमा बढाने से बीमा का प्रसार भी बढेगा. उन्होंने धारणा गलत साबित हुयी है कि एफडीआई सीमा बढने से इस क्षेत्र का प्रसार होगा.
उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां अपने लाभ के मंतव्य से प्रेरित होकर देश में आयेंगी न कि यहां के सामाजिक दायित्वों से उनका कोई सरोकार होगा. उन्होंने लाखों लोगों को रोजगार देने वाली एलआईसी की सराहना करते हुए कहा कि दावों के निपटान के मामले में विश्व में उसका रिकार्ड है. उन्होंने कहा कि एफडीआई सीमा बढाने से विदेशों की दिवालिया कंपनियां इस देश में आयेंगी जिन पर प्रभावी अंकुश नहीं होगा.चर्चा में जदयू के शरद यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन, बसपा के सतीश चन्द्र मिश्र, माकपा के तपन कुमार सेन, बीजद के दिलीप कुमार तिर्की, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, निर्दलीय राजीव चन्द्रशेखर ने भी भाग लिया.
इससे पहले जब उपसभापति पी जे कुरियन ने सदन में बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 पर चर्चा शुरु कराने के लिए कहा तो कुछ सदस्यों ने व्यवस्था के प्रश्न उठाये. इसी क्रम में माकपा के डी राजा ने इस विधेयक से जुडे अध्यादेश के निरमोदन के लिए एक परिनियत संकल्प रखा. इसके बाद माकपा के पी राजीव और सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यह मुद्दा उठाया कि सदन में बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 पर चर्चा होने जा रही है. ऐसा ही एक विधेयक सदन में पहले पेश किया गया था और उसे प्रवर समिति के पास भेजा गया था.
दोनों सदस्यों ने सवाल किया कि उस पुराने विधेयक का क्या होगा. सदन में इसको लेकर काफी देर तक कई सदस्यों ने अपने अपने तर्क दिए। कुछ सदस्यों ने इस बात पर आपत्ति जतायी कि बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को सदन की कार्यसूची में डालने के पहले इस बारे में कार्य मंत्रणा समिति में विचार नहीं किया गया.
इस पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भले ही इस विधेयक पर कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा नहीं हुयी हो लेकिन विभिन्न दलों के नेताओं की सभापति के कक्ष में हुयी बैठक में इस संबंध में एक अनौपचारिक सहमति बनी थी.इस मुद्दे पर सदन में कोई सहमति नहीं बनने के कारण उपसभापति कुरियन ने बैठक को पहले 10 मिनट के लिए और फिर आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया.
बैठक करीब चार बजकर 50 मिनट पर फिर शुरु होने पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने इस संबंध में पूर्व में लाए गए एक विधेयक को सदन की अनुमति से वापस ले लिया. इसके बाद उन्होंने बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को चर्चा के लिए सदन में पेश किया.

