नयी दिल्ली : राज्यसभा में आज विपक्ष ने भारत रत्न से सम्मानित मदर टेरेसा के संबंध में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विवादास्पद बयान को लेकर सरकार को घेरते हुए भारी हंगामा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की निंदा करने तथा सदन में एक प्रस्ताव पारित कर इसकी भर्त्सना करने की मांग की। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण सदन की बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित भी हुयी. हालांकि सरकार ने कहा कि मदर टेरेसा के सेवाभाव से किए गए योगदान को सिर्फ सरकार ही नहीं पूरा देश सम्मान करता है. इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक 43 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. उनमें से एक मदर टेरेसा के बारे में हाल ही में एक अपमानजनक टिप्पणी की गयी है.
उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा एक ईसाई नन से बहुत उपर की सोच वाली हस्ती थीं। मदर टेरेसा ने एक बार स्वयं कहा था कि हां, वह धर्मातरण कराती हैं. उन्होंने कहा था, ‘‘ मैं हिन्दुओं को और अच्छे हिन्दू में परिवर्तित करती हूं। मुस्लिमों को और अच्छे मुस्लिमों में परिवर्तित करती हूं.’’ ब्रायन ने कहा कि भगवदगीता और भागवत जैसे विभिन्न धर्मग्रंथ जिस सेवा की बात करते हैं, वह मदर टेरेसा ने करके दिखाया था. उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर परोक्ष संकेत करते हुए कहा कि बयान देने वालों को मदर टेरेसा द्वारा शुरु किए गए निर्मल हृदय जैसे संस्थान देखने चाहिए जिनमें रोगियों, पीडितों एवं दुखी लोगों की सेवा की जाती है. उन्होंने कहा कि इस बयान के जरिए मदर टेरेसा का अपमान किया गया है और इस मामले में भाजपा का कोई प्रवक्ता किसी टीवी चैनल पर नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है. ब्रायन ने कहा कि इस बयान के जरिए भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति का अपमान किया गया है लिहाजा पूरे देश का अपमान हुआ है.
इस बीच भाजपा के विनय कटियार ने अपने स्थान पर खडे होकर कई बार कोई टिप्पणियां कीं. माकपा के पी राजीव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देश में हिन्दुत्व राष्ट्रवादी माहौल तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही देश के प्रतिष्ठित लोगों की एक के बाद एक कर उनकी गरिमा को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को मदर टेरेसा के बारे में दिए गए बयान की निंदा करनी चाहिए. इसके बाद जब सपा के नरेश अग्रवाल ने बोलना शुरु किया और मदर टेरेसा के खिलाफ दिए गए बयान का जिक्र किया तो कटियार ने एक बार फिर खडे होकर कोई टिप्पणी की. इसका विपक्ष के कई सदस्यों ने विरोध किया। इसी बीच सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने भी आरोप प्रत्यारोप शुरु कर दिया.
हंगामे के बीच ही माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि भाजपा के एक सदस्य ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है. हालांकि नकवी ने अपने विरुद्ध ऐसी किसी टिप्पणी से इंकार किया. उपसभापति पी जे कुरियन ने येचुरी को आश्वासन दिया कि वह रिकार्ड देखेंगे और कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी होने पर उसे रिकार्ड से निकाल दिया जाएगा. इसी बीच सपा, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के कई सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर देश में सांप्रदायिकता बढाने के प्रयासों के खिलाफ नारेबाजी शुरु कर दी। हंगामे के कारण कुरियन ने 11 बजकर 20 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
बैठक दोबारा शुरु होने पर सपा सदस्य अग्रवाल ने कहा कि सरकार के सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख का बयान पूरी तरह से मदर टेरेसा का अपमान है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के बाद मदर टेरेसा देश की दूसरी सम्मानित हस्ती हैं. अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को बयान देकर स्पष्ट करना चाहिए कि मदर टेरेसा के बारे में की गयी टिप्पणी गलत है. उन्होंने सत्तारुढ भाजपा पर आरोप लगाया कि उसके सदस्य आए दिन ‘‘लव जिहाद’’ जैसे मुद्दों पर सांप्रदायिकता बढाने का प्रयास करते रहते हैं. इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए नकवी ने कहा कि मदर टेरेसा द्वारा किए गए सेवा कार्यों का सरकार ही नहीं पूरा देश सम्मान करता है. उन्होंने कहा कि हम भी मानते हैं कि मदर टेरेसा ने दुखियों और पीडितों की उल्लेखनीय सेवा की। उन्होंने कहा कि सेवा भाव से किए गए उनके कार्यों को लेकर देश में किसी को शक नहीं है.
नकवी ने कहा कि सदन के बाहर बहुत से विचार आते रहते हैं और उस पर चर्चा हो सकती है. जदयू नेता शरद यादव ने नकवी की टिप्पणी से असहमति जताते हुए कहा कि उनका जवाब निगरुण है और उन्हें ठोस जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा के मामले में सदस्यों ने जो बातें कहीं हैं, वे उनके rदय की बात हैं. यादव ने उपसभापति से कहा कि वह सरकार को इस मामले में कोई ठोस बयान देने का निर्देश देकर सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करें.
इस पर कुरियन ने कहा कि वह सरकार को किसी खास तरह का बयान देने के लिए कोई निर्देश नहीं दे सकते. यादव ने मांग की कि सदन में प्रस्ताव पारित कर मदर टेरेसा के खिलाफ दिए गए बयान की निंदा की जानी चाहिए. कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने उनकी मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को मदर टेरेसा के खिलाफ दिए गए बयान की भर्त्सना करनी चाहिए.