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सभी राज्यों की मांगे मान ली जाए तो भारत में 50 राज्य होंगे

नयी दिल्ली: यदि नयीराज्यों की मांगों को स्वीकार कर लिया जाता है तो भारत में भविष्य में कम से कम 50 राज्य होंगे क्योंकि गृह मंत्रालय को 20 से अधिक राज्यों के गठन के लिए ज्ञापन मिले हैं.देश भर में अलग राज्यों की मांगें उठ रही हैं चाहे फिर वे मणिपुर में कुकीलैंड हो या […]

नयी दिल्ली: यदि नयीराज्यों की मांगों को स्वीकार कर लिया जाता है तो भारत में भविष्य में कम से कम 50 राज्य होंगे क्योंकि गृह मंत्रालय को 20 से अधिक राज्यों के गठन के लिए ज्ञापन मिले हैं.देश भर में अलग राज्यों की मांगें उठ रही हैं चाहे फिर वे मणिपुर में कुकीलैंड हो या तमिलनाडु में कोंगु नाडु, उत्तरी बंगाल में कामतापुर हो या कर्नाटक में तुलु नाडू बहरहाल उत्तर प्रदेश को छोड़ कर किसी अन्य राज्य सरकार ने पहले कभी नये राज्य के गठन की सिफारिश नहीं की. मायावाती नीत बसपा सरकार ने पूर्व में देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने की सिफारिश की थी. देश भर से नये राज्यों के गठन की मांग उठने का सिलसिला जारी है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय को कई सालों से अलग राज्यों के गठन संबंधी ज्ञापन विभिन्न संगठनों एवं व्यक्तियों से मिलते चले आ रहे हैं.’’ उत्तर प्रदेश में अलग राज्यों की मांग में अवध प्रदेश, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमांचल या हरित प्रदेश शामिल है. ब्रज प्रदेश के गठन की मांग भी की जा रही है जिसमें उत्तर प्रदेश के आगरा एवं अलीगढ़ संभाग तथा राजस्थान के भरतपुर एवं मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले को शामिल करने की बात है.

भोजपुर प्रदेश को भी बनाने की मांग है जिसमें पूर्वी उप्र, बिहार एवं छत्तीसगढ़ को शामिल करने की मांग गृह मंत्रालय को मिली है.महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र को अलग कर विदर्भ प्रदेश बनाने की मांग पुरानी रही है.अलग राज्यों में सबसे मुखर मांग गोरखालैंड के लिए उठी है जिसे पश्चिम बंगाल के दाजिर्लिंग एवं आसपास के क्षेत्रों को अलग करके बनाया जायेगा.

पश्चिमी असम के बोडो बहुल इलाकों में बोडोलैंड एवं असम के कर्बी आंगलांग स्वायत्त जिले में कर्बी आदिवासियों के रहने वाले क्षेत्र को अलग कर्बी आंगलांग राज्य घोषित करने की मांग भी केंद्र के समक्ष लंबित पड़ी है.बिहार एवं झारखंड में मैथिल भाषी क्षेत्रों के लिए मिथलांचल बनाने की भी मांग है.केंद्र को गुजरात से अलग कर सौराष्ट्र के गठन की मांग मिली है. इसी प्रकार पूर्वोत्तर में दीमासा लोगों के रहने वाले क्षेत्र में दीमालैंड या दीमाराजी, दक्षिण पश्चिम तमिलनाडु, दक्षिण पूर्व कर्नाटक एवं पूर्व केरल के हिस्सों को मिलाकर कोंगु नाडू, कर्नाटक के कुर्ग क्षेत्र में कुर्ग राज्य, ओड़िशा के कुछ जिलों, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों को मिलाकर कोसल राज्य, कर्नाटक एवं केरल के सीमा वाले क्षेत्रों को मिलाकर तुलु नाडू, मणिपुर में कुकी आदिवासियों के रहने वाले क्षेत्र में अलग कुकीलैंड तथा पश्चिमी भारत में कोंकणी भाषी लोगों के लिए कोंकण राज्य के गठन की भी मांग की गयी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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