नयी दिल्ली: सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की परेशानियों में दिनों-दिन इजाफा होता जा रहा है. उन्हें कोर्ट से राहत मिलता नहीं दिख रहा है. 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण में कुछ आरोपियों को कथित रुप से बचाने के मामले में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को उच्चतम न्यायालय के नोटिस के एक दिन बाद आज न्यायालय ने कोयला खदान आबंटन कांड में इसी तरह के आरोपों पर उनसे जवाब तलब किया.
प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोयला खदान आबंटन कांड के आरोपियों को कथित रुप से बचाने के मामले में विशेष जांच दल गठित करने और करोडों रुपए के इस मामले की जांच और मुकदमे से उन्हें अलग रखने के लिये दायर अर्जी पर सीबीआई निदेशक को नोटिस जारी किया.
न्यायालय ने रंजीत सिन्हा को इन आरोपों का जवाब देने के लिये हालांकि दस दिन का वक्त दिया लेकिन उसने इस मामले से सिन्हा को हटाने के लिये कोई आदेश देने से इंकार कर दिया. न्यायलाय इस मामले में अब 19 सितंबर को आगे सुनवाई करेगा.
इस मामले की सुनवाई शुरु होते ही न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ पहले ही सिन्हा के खिलाफ आदेश दे चुकी है. इसलिए अब और किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है.
लेकिन सिन्हा के खिलाफ अर्जी दायर करने वालेगैर सरकारी संगठन के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि कल दिया गया आदेश 2जी मामले से संबंधित है और कोयला खदान आबंटन मामले में न्यायालय अलग से आदेश दे सकता है.
इसके बाद न्यायालय सिन्हा को नोटिस जारी करने पर तैयार हो गया और इस मामले की सुनवाई 2जी प्रकरण की तारीख के बाद निर्धारित की. 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई 15 सितंबर को निर्धारित है जब न्यायालय सीबीआई निदेशक के जवाब पर गौर करेगा. गैर सरकारी संगठन कामन काज ने अपनी अर्जी में सिन्हा के निवास पर रखे प्रवेश रजिस्टर में कोयला प्रकरण में कथित रुप से संलिप्त शामिल प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम हैं.