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नीतीश-लालू मोदी पर भारी,24 वर्षो के बाद भागलपुर में भाजपा हारी

पटना:तीन महीने पूर्व लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 31 सीटों पर मिली भारी जीत को भाजपा विधानसभा उपचुनाव में बरकरार नहीं रख सकी. विधानसभा उपचुनाव में उसे 10 में से सिर्फ चार सीटें मिल पायीं. वहीं, जदयू और राजद ने कांग्रेस के साथ मिल कर उपचुनाव में छह सीटें जीत लीं. उपचुनाव […]

पटना:तीन महीने पूर्व लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 31 सीटों पर मिली भारी जीत को भाजपा विधानसभा उपचुनाव में बरकरार नहीं रख सकी. विधानसभा उपचुनाव में उसे 10 में से सिर्फ चार सीटें मिल पायीं. वहीं, जदयू और राजद ने कांग्रेस के साथ मिल कर उपचुनाव में छह सीटें जीत लीं. उपचुनाव के इस परिणाम ने राज्य के राजनीतिक समीकरण के बदलाव पर मुहर लगा दी है.

भाजपा को 2010 के विधानसभा चुनाव में जीती अपनी चार सीटें छपरा, भागलपुर, मोहिउद्दीननगर और जाले गंवानी पड़ी हैं, जबकि नरकटियागंज और हाजीपुर की सीटों पर कब्जा बरकरार रखा है. महागंठबंधन ने छपरा, भागलपुर, मोहिउद्दीननगर, परबत्ता, जाले और राजनगर सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि भाजपा को मोहनिया, बांका, नरकटियागंज और हाजीपुर की सीटें मिली हैं. सबसे अधिक मतों से जीत परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में जदयू के रामांनद सिंह को मिली है. उन्होंने लोजपा की सुहेली मेहता को 56,990 मतों से शिकस्त दी.

छपरा में भाजपा तीसरे नंबर पर :
छपरा में पूर्व राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर कुमार सिंह ने निर्दलीय डॉ सीएन गुप्ता को 24,106 मतों से शिकस्त दी. रणधीर सिंह को 55,787 वोट मिले, जबकि डॉ सीएन गुप्ता को 31,681 वोट मिले. भाजपा के कन्हैया सिंह यहां तीसरे स्थान पर रहे. भाजपा को सबसे बड़ा झटका भागलपुर में लगा है. अरसे बाद यहां भाजपा को पटखनी मिली है. कांग्रेस के अजीत शर्मा ने भाजपा के नभय कुमार चौधरी को 17,229 मतों से पराजित कर दिया. अजीत शर्मा को 63753 वोट मिले, जबकि नभय चौधरी 46,524 वोट हासिल कर पाये. नरकटियागंज में भाजपा की रश्मि वर्मा ने कांग्रेस के फखरुद्दीन को 15,742 मतों से पराजित कर दिया.

रश्मि वर्मा को 64,606 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 48860 वोट आये. 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी. उस समय कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ आलोक वर्मा थे. बाद में उनका निधन हो गया. लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ आलोक की पत्नी रश्मि वर्मा जदयू में शामिल हो गयीं. लेकिन, महागंठबंधन में जब यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गयी, तो रश्मि वर्मा भाजपा में शामिल हो गयीं. भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत भी गयी.इसी प्रकार राजद अपनी राजनगर की सीट को बचाने में सफल रहा. वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद के राम लषण राम रमण यहां से चुनाव जीते थे. इस बार के उपचुनाव में भी राजद को जीत मिली है.

राजद प्रत्याशी राम औतार पासवान ने भाजपा के रामप्रीत पासवान को 3448 मतों से पराजित कर दिया. जाले सीट पर जदयू के ऋषि मिश्र सफल रहे. उनके पिता विजय कुमार मिश्र के भाजपा छोड़ कर जदयू मे शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने भाजपा के रामनिवास प्रसाद को 7720 मतों से पराजित किया है. हाजीपुर सीट पर इस बार भी भाजपा का कब्जा बरकरार रहा. पार्टी उम्मीदवार अवधेश सिंह ने जदयू के राजेंद्र राय को 6127 वोट से पराजित किया. अवधेश पटेल को 52,528 वोट आये. वहीं, जदयू के प्रत्याशी को 46,401 वोट आये. वहीं, जदयू से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े देव कुमार चौरसिया 21,010 लाकर तीसरे स्थान पर रहे. यहां लालू-नीतीश का जलवा मतदाताओं के सिर पर नहीं चढ़ा. वर्ष 2010 के चुनाव में भाजपा ने यहां जीत हासिल की थी.

मोहनिया सीट भाजपा ने जदयू से छीन ली. यहां भाजपा के निरंजन राम को जीत मिली है. उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार जदयू के शेखर पासवान को 19,851 मतों से पराजित किया है. 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां जदयू के छेदी पासवान को सफलता मिली थी. लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने जदयू छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये.

परबत्ता विधानसभा की सीट इस बार जदयू के खाते में आयी है. जदयू के रामानंद सिंह ने लोजपा के उम्मीदवार सुहेली मेहता को 56,990 मतों से पराजित किया है, जो उपचुनाव में जीत सबसे अधिक अंतर है. भाजपा ने यह सीट लोजपा को दी थी. जदयू उम्मीदवार रामानंद सिंह को 94,374 वोट मिले, जबकि सुहेली मेहता को सिर्फ 37,384 वोट मिले. मोहिउद्दीननगर में राजद के अजय कुमार बुलगानिन सफल रहे. उन्होंने भाजपा के राजेश कुमार सिंह को 21,530 मतों से हराया. 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा के राणा गंगेश्वर को सफलता मिली थी. लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा से इस्तीफा देकर राणा गंगेश्वर जदयू में शामिल हो गये थे.

बांका विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामनारायण मंडल चुनाव जीतने में सफल रहे. उन्होंने राजद के इकबाल अहमद अंसारी को महज 711 वोट से चुनाव में पराजित कर दिया. 2010 के चुनाव में यह सीट राजद के खाते मे गयी थी. राजद के जावेद इकबाल अंसारी जीते थे. लोकसभा चुनाव के बाद वह राजद से इस्तीफा देकर जदयू में शामिल हो गये.

भाजपा को दिखाया आईना : नीतीश

पटना:बिहार विधानसभा उपचुनाव में जदयू-राजद-कांग्रेस महागंठबंधन को जीत दिलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने मतदाताओं को सलाम किया. सोमवार को चुनाव परिणाम आने के तत्काल बाद अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने भाजपा को आईना दिखा दिया है. उपचुनाव में सद्भाव की धारा की जीत हुई है और उन्माद की धारा की हार हुई है. उन्होंने कहा, उपचुनाव के प्रचार के दौरान हमने कभी दावा नहीं किया था. हमने सिर्फ लोगों से अपील की, लेकिन बहुत से लोग (भाजपा) दावा कर रहे थे. जनता अब उन्माद के झांसे में आनेवाली नहीं है. बिहार के मतदाताओं ने रुझान पेश कर दिया है. सीटों के तालमेल के बारे में अगर हम और बेहतर ढंग से निर्णय करते, तो परिणाम और बेहतर हो सकते थे. कम समय में तालमेल हुआ. यह एक प्रयोग था, लेकिन जो प्रयोग हुआ, वह कारगर है. जनता के मन-मिजाज से लोकसभा चुनाव में जिन कारणों से केंद्र में सरकार बन गयी, लेकिन अब जनता के बीच इसकी चर्चा होने लगी है. महागंठबंधन का यह पहला स्टेज है. आगे और बेहतर होगा. नीतीश कुमार ने कहा,भाजपा के लोग समझते थे कि ऊंची जाति के लोग उनके साथ हैं, लेकिन परबत्ता में जितने मतों के अंतर से जदयू प्रत्याशी जीते हैं, उतना अंतर तो भाजपा के जितने प्रत्याशी जीते हैं, उन्हें जोड़ने पर भी नहीं होगा. जाले-भागलपुर भाजपा का गढ़ कहा जाता था, लेकिन वहां महागंठबंधन को जीत मिली है.

मैंने जंगल राज नहीं, आतंक राज कहा था

पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि महागंठबंधन के बारे जो आरोप लगाये गये, उन्हें जनता ने नकार दिया. भाजपा नेता मुङो ही टारगेट कर रहे हैं. फैशन चल गया है,यूपीए-एक, यूपीए-दो की तरह जंगलराज-एक, जंगलराज-दो कह रहे हैं. मैंने राजद के शासन को कभी जंगलराज नहीं कहा, बल्कि आतंक राज कहा है. भाजपा व कोर्ट ने जंगलराज की संज्ञा दी है. हम आतंक के खिलाफ पहले भी थे और इससे किसी प्रकार समझौता नहीं कर सकते हैं.

अहंकार में थे भाजपा नेता

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेता अहंकार में बोल रहे थे. उन्हें उपचुनाव परिणाम के बाद सोचना चाहिए. मैंने पहले ही कहा है कि भाजपा के लोग सरकार तो चला सकते हैं, लेकिन देश नहीं चला सकते हैं. बिहार की जनता ने उन्हें समर्थन नहीं दिया होता, तो जीत का जो डंका बजा रहे हैं, वह नहीं बजा पाते. स्पेशल स्टेटस किसी सरकार को नहीं, राज्य को मिलता है. इसलिए भाजपा नेता अपनी भाषा को संयमित रखें. तीखी भाषा का प्रयोग वही करता है, जिसका मन कमजोर होता है और ओछी भाषा का इस्तेमाल वही करता है, जो समर्थ न हो.

भाजपा के खिलाफ सभी होंगे गोलबंद

नीतीश ने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए महागंठबंधन की सभी पार्टियां पहले दल के अंदर बैठक करेगी और अपनी रणनीति बनायेगी. सीटों के तालमेल की बातें बाद के लिए हैं. भाजपा के खिलाफ सभी लोग गोलबंद होंगे. उन्होंने कहा कि हमने राजद-कांग्रेस के साथ होकर कोई अनैतिक गंठबंधन नहीं किया. हम नीतियों के आधार पर विरोध करेंगे. साथ ही अपनी ताकत को मजबूत करेंगे और भाजपा विरोधियों को एक करेंगे. उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और मायावती के मिलने के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि ये सब धीरे-धीरे बढ़ना चाहिए. एक बार ही ओवर डोज नहीं होना चाहिए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मंत्री श्याम रजक, नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी, विधान पार्षद सह प्रवक्ता संजय सिंह व विधान पार्षद संजय सिंह गांधी मौजूद थे.

नीतीश जीत कर भी हारे : मोदी

पटना:भाजपा भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विधानसभा उपचुनाव में नीतीश कुमार जीत कर भी हार गये. महज दो सीटों पर जदयू को जीत मिली है. इन्ही दो सीटों के लिए वे लालू प्रसाद की गोद में जाकर बैठ गये. जब वे भाजपा के साथ थे, तो बड़े भाई की भूमिका में थे. राजद के साथ हुए, तो छोटे भाई के रोल में आ गये.

उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों को लेकर तो जदयू में खामोशी है, मिठाइयां तो राजद में बंट रही हैं. नाव परिणाम के तत्काल बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, उपचुनाव के नतीजे किसी को कमजोर साबित नहीं करते. लोकसभा चुनाव से राज्य की 10 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव की तुलना बेमानी है. यह तो नॉकआउट मैच था. फाइनल मैच तो 2015 में होना है. राजद-जदयू के लोग इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाहक जोड़ रहे हैं. वे तो बिहार में चुनाव प्रचार करने भी नहीं आये थे. उन्होंने स्वीकार किया कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं आये. भाजपा को कम-से-कम छह सीटों पर जीत की उम्मीद थी. राजनीति में उतार-चढ़ाव होता रहता है. कहां-कहां कमजोरी हुई, पार्टी इसकी समीक्षा करेगी.

राजद-जदयू इस जीत से बहुत अधिक उत्साहित न हो. भाजपा राजद को किसी भी हाल में मजबूत नहीं होने देगी. आम चुनाव में भाजपा उसे बड़ी शिकस्त देगी. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि भाजपा में कोई अंर्तकलह है. हर वर्ग के नेता-कार्यकर्ता हमारे चुनाव अभियान में लगे थे.विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि विधानसभा उपचुनाव स्थानीय मुद्दों पर सिमट गया. उन्होंने स्वीकार किया कि भाजपा के वोट में भी कमी आयी. उपचुनाव में मंडलवाद का कोई असर नहीं दिखा. हार की समीक्षा पार्टी करेगी और कमियों को दूर करेगी. आनेवाले चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी. संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, विधायक उषा विद्यार्थी, संजय टाइगर और विनोद नारायण झा भी मौजूद थे.

लालू बीमार, मुंबई के अस्पताल में भरती

पटना:राजद अध्यक्ष अध्यक्ष लालू प्रसाद को सोमवार को मुंबई के एशियन अस्पताल में भरती कराया गया. मंगलवार को गहन चेकअप के बाद उनकी बाइपास सजर्री का निर्णय लिया जायेगा. जरूरत पड़ने पर अस्पताल के निदेशक डॉ रामाकांत पांडा उनका ऑपरेशन करेंगे. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें सीने में दर्द का एहसास हुआ था. उस समय डॉक्टरों ने चेकअप के बाद वॉल्व में कैल्शियम जमा होने की बात बतायी थी. डॉक्टरों ने उन्हें एम्स या डॉ रामाकांत पांडा से इलाज कराने की सलाह दी थी. सूत्रों के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया है कि बिना ऑपरेशन के भी उनका इलाज संभव है. फिलहाल डॉ पांडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम द्वारा उनकी जांच की जा रही है. मंगलवार को डॉक्टरों की सलाह के बाद बाइपास सजर्री या फिर अन्य उपायों पर विचार किया जायेगा. लालू प्रसाद सुबह मुंबई पहुंचे. उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पुत्री मीसा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और आप्त सचिव विनोद कुमार श्रीवास्तव मौजूद हैं. इधर, राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूव्रे, प्रधान महासचिव मुंद्रिका सिंह यादव, प्रवक्ता एजाज अहमद, चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह, मीडिया प्रभारी प्रगति मेहता, मनीष कुमार यादव सहित पार्टी नेताओं ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की.

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