नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को इस पर सुनवाई शुरू की कि वह पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र के तहत अपनी सीमित शक्ति का प्रयोग करते हुए कानूनी प्रश्नों को वृहद पीठ के पास भेज सकती है या नहीं. सबरीमाला मामले पर सुनवाई करते हुए यह सवाल उठा था. मामला विभिन्न धर्म स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ धार्मिक भेदभाव से जुड़ा है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व में यह पीठ सबरीमाला मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव संबंधी मामलों की सुनवाई कर रही है. पीठ के अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत हैं.
एफ एस नरीमन, कपिल सिब्बल, राजीव धवन, राकेश द्विवेदी और श्याम दीवान सहित कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तीन फरवरी को दलील दी थी कि पुनर्विचार के अधिकार क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के पास कानून के सवाल को बड़ी पीठ के पास भेजने का अधिकार नहीं है.