नयी दिल्ली : संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस्लामाबाद को एक सामान्य पड़ोसी की तरह व्यवहार करते हुए दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए तथा अपने भीतर झांकना चाहिए.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, हम बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें (पाक) अपने भतीर झांकना चाहिए. उन्हें पड़ोसी देश के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. पाकिस्तान को एक सामान्य पड़ोसी जैसा व्यवहार करना चाहिए. पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में जो हो रहा है, वह आंतरिक मामला है. हमारा लोकतंत्र और अन्य संस्थाएं किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह से परिपूर्ण है. गौरतलब है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि इस्लामाबाद सारे वैश्विक मंचों पर नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा उठायेगा तथा यह कानून मोदी सरकार की हिंदुत्व विचारधारा को बेनकाब करता है.
इससे पहले, पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली द्वारा पारित प्रस्ताव को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह प्रस्ताव पाकिस्तान द्वारा अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति किये जा रहे दुर्भावनापूर्ण व्यवहार व उत्पीड़न से ध्यान हटाने का एक निष्फल प्रयास है. भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान झूठे आरोप लगाने की बजाय गंभीर रूप से आत्मनिरीक्षण करें. बांग्लादेश के साथ कुछ द्विपक्षीय बैठकें स्थगित होने सहित हाल के घटनाक्रम के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, बांग्लादेश के साथ बैठकों को पुनर्निर्धारित करने के अधिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच बैठकें रद्द होने के बारे में कुछ बयान सामने आये हैं, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि दोनों देशों के बीच संवाद के 75 वार्ता तंत्र हैं और इस संबंध में आपसी सहमति के आधार पर तिथि तय की जाती है.
कुमार ने कहा कि दोनों देशों के संबंध किसी बैठक के स्थगित होने से तय नहीं होती है. नदी को लेकर जो बैठक होनी थी उसके बारे में बांग्लादेशी पक्ष ने स्पष्ट किया है कि उनके पास छह नदियों के आंकड़े मौजूद नहीं थे, ऐसे में बैठक अर्थपूर्ण नहीं होती. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ हमारे काफी अच्छे संबंध हैं. अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वहां की वर्तमान सरकार ने अल्पसंख्यकों के हितों का अपने संविधान के अनुसार ख्याल रखा है. पूर्व की मुजाहिदीन और तालिबान प्रशासन के दौरान अल्पसंख्यकों के समस्या का सामना करना पड़ा था. कुमार ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संशोधित नागरिकता कानून पर भारत के नजरिये को अमेरिकी संसद सदस्यों के साथ साझा किया. उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून पर विदेशी सरकारों से संपर्क किया जाना जारी रहेगा.