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लॉंच हुआ ISRO का कार्टोसैट-3, इन खूबियों से लैस सैटेलाइट करेगा धरती की निगरानी

नयी दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कार्टोसैट-3 सहित 13 अमेरिकी नैनो सैटेलाइट ले जाने वाले पीएसएलवी-सी47 को लॉंच किया. भारतीय समयानुसार सुबह तकरीबन साढ़े नौ बजे इसे लॉंच किया गया. इस दौरान इसरो के तमाम वैज्ञानिक तथा कर्मचारियों समेत इसरो चैयरमेन के सिवन मौजूद रहे. सीमा […]

नयी दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कार्टोसैट-3 सहित 13 अमेरिकी नैनो सैटेलाइट ले जाने वाले पीएसएलवी-सी47 को लॉंच किया. भारतीय समयानुसार सुबह तकरीबन साढ़े नौ बजे इसे लॉंच किया गया. इस दौरान इसरो के तमाम वैज्ञानिक तथा कर्मचारियों समेत इसरो चैयरमेन के सिवन मौजूद रहे.

सीमा पर दुश्मन पर कड़ी नजर रखी जाएगी

बता दें कि कार्टोसैट-3 के जरिए सरहद और सरहद के पार भी नजर रखी जा सकेगी. इसकी मदद से सीमापार दुश्मन की किसी भी खतरनाक इरादों की निगरानी की जा सकेगी साथ ही ये प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी भी देगा. जानकारी के मुताबिक इसमें लगा कैमरा इतना शक्तिशाली है कि, उसके जरिए 590 किमी की ऊंचाई सी भी किसी के घड़ी की सुईयां देखी जा सकती हैं.

शक्तिशाली कैमरे से लैस है कार्टोसैट-3

जानकारी के मुताबिक पीएसलवी-सी47 की यह 49वीं उड़ान है जो कार्टोसैट के साथ अमेरिका के वाणिज्यिक उद्देश्यों वाले 13 नैनो सैटेलाइटों को लेकर अंतरिक्ष रवाना हुआ है. कार्टोसेट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत सैटेलाइट है जिसमें हाई रिजोल्यूशन फोटो ले पाने की क्षमता है. उपग्रह का वजन 1625 किलो है. यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास सहित तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा. कार्टोसैट-3 का कार्यकाल पांच साल का होगा.

पांच साल तक काम करेगा कार्टोसेट-3

वहीं, पीएसएलवी-सी47 की यह 49वीं उड़ान है, जो कार्टोसेट-3 के साथ अमेरिका के वाणिज्यिक उद्देश्य वाले 13 छोटे उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में जायेगा. कार्टोसेट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है, जिसमें हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेने की क्षमता है. इसका भार 1,625 किलो है. यह बड़े पैमाने पर शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि के उपयोग तथा भूमि कवर के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा. कार्टोसेट-3 का जीवनकाल पांच साल का होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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