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2050 तक डूब जायेगी मुंबई, 15 करोड़ लोगों के छिन जायेंगे घर
‘नेचर’ कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुई रिपोर्ट समुद्र के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण 2050 तक मुंबई समेत दुनिया के कई शहर समुद्र में डूब जायेंगे. इससे दुनिया भर में 15 करोड़ लोग प्रभावित होंगे. उनके पास रहने के लिए घर नहीं बचेगा. न्यू जर्सी स्थिति साइंस ऑर्गनाइजेशन क्लाइमेंट सेंटर द्वारा जारी और […]
‘नेचर’ कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुई रिपोर्ट
समुद्र के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण 2050 तक मुंबई समेत दुनिया के कई शहर समुद्र में डूब जायेंगे. इससे दुनिया भर में 15 करोड़ लोग प्रभावित होंगे.
उनके पास रहने के लिए घर नहीं बचेगा. न्यू जर्सी स्थिति साइंस ऑर्गनाइजेशन क्लाइमेंट सेंटर द्वारा जारी और प्रतिष्ठित जरनल ‘नेचर’ कम्युनिकेशन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने यह आकलन पहली बार सेटेलाइट की मदद से किये जाने का दावा किया गया है, जो बेहद सटीक है. रिसर्च के मुताबिक, एशिया के सबसे बड़े ग्रोथ इंजन शंघाई के भी पानी में समा जाने का खतरा है.
इस शहर के आसपास के भी शहर पानी में डूब सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसवीं सदी में ग्लोबल औसत समुद्री स्तर 11-16 सेमी बढ़ गया है. अगर कार्बन उत्सर्जन में हम कटौती करते भी हैं तो इस सदी में और 0.5 मीटर बढ़ सकता है. नये आंकड़ों के अनुसार, साल 2050 तक तटीय बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्रमश: 9.3 करोड़ और 4.2 करोड़ लोगों के साथ बांग्लादेश और चीन सबसे अधिक प्रभावित होंगे.
नेचर जर्नल में प्रकाशित क्लाइमेट सेंट्रल स्टडी के अनुसार, नासा के शटल रेडार टोपोग्राफी मिशन ने जो आकलन किया है उसमें नासा ने अपने मॉडल में आकाश की सबसे नजदीकी सतहों को मापने के दौरान, पेड़ की चोटी और छतों की ऊंचाई को भी शामिल किया है. नासा के मुताबिक, यह बड़े क्षेत्रों में समुद्र स्तर के प्रभाव के आकलन का एक बेहतरीन तरीका है. इसमें पाया गया कि पिछली गणना हकीकत से बहुत ज्यादा दूर थी.
2050 के लिए पुराना अनुमान
लुप्त हो जायेगा अलेक्जेंड्रिया
मिश्र का अलेक्जेंड्रिया भी 2050 तक पानी में डूबने के कगार पर है. सिकंदर महान ने जिस शहर को बसाया था वहां की सांस्कृतिक विरासत का लुप्त होना एक बड़ी बात हो सकती है. इराक का दूसरा सबसे बड़ा शहर बसरा 2050 तक ज्यादातर पानी के नीचे हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो इसका प्रभाव पूरे ईराक पर होगा.
बज गयी है खतरे की घंटी : डीना
इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की प्रमुख डीना लोनेस्को ने कहा कि इस शोध का निष्कर्ष यही है कि खतरे की घंटी बज गयी है. इन देशों को अपने नागरिकों को नये स्थान पर बसाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. हम जानते हैं कि वह दिन नजदीक आ रहा है.
08 देशों चीन, बांग्लादेश, भारत, वियतनाम, थाइलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपिंस में रहती है विश्व की 70% जनसंख्या, सबसे ज्यादा प्रभावित लोग इन्हीं देशों से.
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