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राष्ट्रीय स्वंय संघ के कार्यकर्ता से हरियाणा के सीएम तक, जानिए ”मनोहरलाल खट्टर” का पूरा सफरनामा

चंडीगढ़: मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने हैं. आज दिवाली के मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चुनावों से पहले बीजेपी ने सूबे की 90 सीटों में से 70 पार का नारा दिया था, लेकिन पार्टी बहुमत से 06 सीटें कम 40 पर ही सिमट गई. इससे आशंका जताई […]

चंडीगढ़: मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने हैं. आज दिवाली के मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चुनावों से पहले बीजेपी ने सूबे की 90 सीटों में से 70 पार का नारा दिया था, लेकिन पार्टी बहुमत से 06 सीटें कम 40 पर ही सिमट गई. इससे आशंका जताई जा रही थी कि शायद बीजेपी आलाकमान उनसे नाराज चल रहा है. लेकिन पार्टी ने फिर से खट्टर पर ही भरोसा जताया है.

किन कारणों ने मनोहरलाल खट्टर को खास बनाया

सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर वो कौन से कारण हैं जो मनोहर लाल खट्टर को पार्टी के भीतर और सूबे की राजनीति में इतना खास बनाते हैं. कहा जाता है कि मनोहर लाल खट्टर पर संघ का बहुत भरोसा है. वो पीएम मोदी और अमित शाह के भी खास माने जाते हैं. अब जबकि बीजेपी ने उनको दोबारा राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है तो आईए एक नजर डालते हैं उनके अब तक के राजनीतिक सफर पर.

संघ में रहते हुए पीएम मोदी के साथ काम किया था

खट्टर 1977 में 24 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हुए थे. उन्होंने 1996 में मोदी के साथ काम करना शुरू किया जो खुद आरएसएस के प्रचारक हैं. उस वक्त मोदी हरियाणा में राज्य के प्रभारी थे. साल 2002 में खट्टर को जम्मू-कश्मीर चुनाव का प्रभारी बनाया गया. खट्टर अविवाहित हैं और सादे रहन सहन के लिए जाने जाते हैं.

सांगठनिक कौशल की वजह से मिली थी पहचान

उन्होंने भाजपा में अहम पदों पर काम करने के दौरान कड़े ‘टास्कमास्टर’ की ख्याति हासिल की और उनके सांगठनिक कौशल को भी सराहना की गई थी. उन्होंने कई चुनावों के प्रचार में अहम भूमिका निभाई और वह 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में पार्टी की प्रचार समिति के अध्यक्ष थे. खट्टर ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की ‘अंत्योदय योजना’ की भी अगुवाई की जो पार्टी की विचारधारा को समाज के सबसे निचले पायदान पर ले जाने का प्रतीक है.

हरियाणा के पहले पंजाबी भाषी मुख्यमंत्री बने थे

बहरहाल, खट्टर की मोदी से निकटता की वजह से लगता है कि अक्टूबर 2014 में उन्हें मुख्यमंत्री का पद मिला और राम बिलास शर्मा, अनिल विज और ओपी धनखड़ जैसे वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर दिया गया. खट्टर बचपन में डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था और वह हरियाणा के पहले पंजाबी बोलने वाले मुख्यमंत्री बने. राज्य में 18 साल बाद कोई गैर जाट मुख्यमंत्री बना था.

रोहतक जिले के किसान परिवार से है ताल्लुक

खट्टर रोहतक जिले के निंदाना गांव में पैदा हुए थे. वह कृषक पृष्ठभूमि से आते हैं. उनका परिवार बंटवारे के बाद पाकिस्तान से हरियाणा आया था. वे निंदाना गांव में बस गए थे. उनके पिता और दादा ने कृषि को पेशा बनाया और बाद में पैसा जमा कर एक छोटी दुकान खोली. खट्टर 10 वीं कक्षा के बाद पढ़ाई करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं. उन्होंने रोहतक के नेकीराम शर्मा सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया था.

दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए बदली जिंदगी

वह चिकित्सा प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए दिल्ली आए थे और उसके बाद कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे उनका जीवन बदल गया. कृषि से जुड़े रहने के लिए अपने परिवार के दबाव के बावजूद, उन्होंने कारोबार किया और उसी दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया तथा 1977 में वह आरएसएस में शामिल हुए. उनके मुख्यमंत्री के रहते भाजपा ने पिछले साल सभी पांच मेयर की सीटें जीतीं और इस साल जींद उपचुनाव में भी जीत हासिल की. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की जिससे उनकी स्थिति मजबूत की.

जाट आरक्षण आंदोलन सहित कई चुनौतियां थीं

खट्टर की सरकार ने सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता लाने का दावा किया है, ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ सरकार दी, योग्यता के आधार पर नौकरी दी, कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की, बुनियादी ढांचे को उन्नत किया और पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के मानदंडों पर कानून बनाया. नवंबर 2014 में स्वयंभू धर्मगुरु रामपाल के खिलाफ कार्रवाई, 2016 में जाटों का आरक्षण आंदोलन और 2017 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी ठहराए जाने के बाद हुई हिंसा सहित उनकी सरकार ने कई चुनौतियों का दावा किया.

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