मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने ‘निरर्थक’ याचिका दायर करने को लेकर सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने जनहित याचिका खारिज कर दी और एनजीओ ‘अभिव्यक्ति’ को दो हफ्ते के अंदर उच्च न्यायालय विधि सहायता सेवा में जुर्माना जमा कराने का निर्देश दिया.
एनजीओ का मुख्य कार्यालय रायगढ़ जिले में है. एनजीओ ने पिछले साल अपने वकील सुभाष झा के मार्फत जनहित याचिका दायर की थी और दावा किया था कि नवी मुंबई का नियोजन निकाय शहर एवं औद्योगिक विकास निगम (सीआईडीसीओ) आद्र भूमि में निर्माण का मलबा डाल रहा है. जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि खारघर के सेक्टर 18 और 19 में छह हेक्टेयर के एक क्षेत्र में मलबे और कूड़े डाले जा रहे हैं जहां तालाब और आद्रभूमि है. लेकिन, निगम ने अदालत को बताया कि संबंधित क्षेत्र न तो आद्र जमीन है और न ही वहां कोई तालाब है. वह एक निजी जमीन थी जिसे राज्य प्रशासन ने निर्माण कार्य के लिए कानूनी रूप से खरीदी. वहां जो पानी है वह भारी बारिश के दौरान गड्ढों में एकत्रित पानी है.
इस पर अदालत ने कहा कि एनजीओ ने शुरू में दावा किया कि संबंधित क्षेत्र संरक्षित आद्रभूमि है और फिर उसने बताया कि यह प्राकृतिक जलाशय है. आखिरकार उसने अदालत से कहा कि वह वर्षाजल से बना तालाब है. हालांकि, सरकारी दस्तावेजों से साबित होता है कि वह इनमें से कुछ भी नहीं है. अदालत ने कहा, हम मानते है कि जनहित याचिका निरर्थक है और हम जुर्माना लगाते हुए उसे खारिज करते हैं.