27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

ऐसे खत्म होगा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 35ए

नयी दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में किसी बड़ी कार्रवाई की आशंका जतायी जा रही है. कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अनुच्छेद 35ए के प्रावधानों को खत्म करने जा रही है. जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियां इसको लेकर सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रही […]

नयी दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में किसी बड़ी कार्रवाई की आशंका जतायी जा रही है. कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अनुच्छेद 35ए के प्रावधानों को खत्म करने जा रही है. जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियां इसको लेकर सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रही हैं, तो देशभर में इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अनुच्छेद 35ए को खत्म कैसे किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : धारा 370 को खत्म करने का बिल राज्यसभा में पेश, राष्ट्रपति की अनुमति के बाद होगा लागू

संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 370 में 35ए को शामिल किया गया था. इसे राष्ट्रपति के आदेश से खत्म भी किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है, जिस पर सुनवाई होनी है. संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि आर्टिकल 35A केवल भारतीय संविधान ही नहीं, कश्मीर की जनता के साथ भी बहुत बड़ा धोखा है.

सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में जनहित याचिका (पीआइएल) दाखिल करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि आर्टिकल 35A को संविधान संशोधन करने वाले अनुच्छेद 368 में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करके नहीं जोड़ा गया. इसे उस वक्त की सरकार ने अवैध तरीके से चिपकाया था. उनका कहना है कि संविधान में संशोधन का अधिकार केवल संसद को है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक, आर्टिकल 35ए न केवल आर्टिकल 368 में निर्धारित संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है, बल्कि भारत के संविधान की मूल संरचना के भी खिलाफ है. संविधान में कोई भी आर्टिकल जोड़ना या हटाना केवल संसद द्वारा अनुच्छेद 368 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही किया जा सकता है. आर्टिकल 35A को कभी भी संसद के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया.

इसे भी पढ़ें : कश्मीर पर बड़े फैसले की आशंका से सहमा शेयर बाजार, सेंसेक्स 532 अंक गिरा

श्री उपाध्याय ने याचिका में यह भी दलील दी है कि आर्टिकल 35A के जरिये, जन्म के आधार पर किया गया वर्गीकरण आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. यह कानून के समक्ष हरेक नागरिक की समानता और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है, क्योंकि यह गैर-निवासी नागरिकों के पास जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों के समान अधिकार और विशेषाधिकार नहीं हो सकते हैं.

उपाध्याय ने याचिका में दलील दी है कि आर्टिकल 35ए राज्य सरकार को एक अनुचित आधार पर भारत के नागरिकों के बीच भेदभाव करने की खुली आजादी देता है. इसमें एक के अधिकारों को रौंदते हुए दूसरे को अधिकार देने में तरजीह दी जाती है. गैर-निवासियों को संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने या स्थानीय चुनाव में वोट देने से रोका जाता है.

भारत के राष्ट्रपति ने एक कार्यकारी आदेश द्वारा संविधान में अनुच्छेद 35ए को जोड़ा. हालांकि अनुच्छेद 370 राष्ट्रपति को भारत के संविधान में संशोधन करने के लिए विधायी शक्तियां प्रदान नहीं करता. आर्टिकल 35ए न केवल कानून द्वारा स्थापित संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है.

मनमाने तरीके से थोपा गया अनुच्छेद 35ए यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 19 और 21 में दिये गये समानता, रोजगार, समान अवसर, व्यापार और व्यवसाय, संगठन बनाने, सूचना पाने, विवाह, निजता, आश्रय पाने, स्वास्थ्य और शिक्षा के मूल अधिकारों का उल्लघंन करता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें