नयी दिल्ली : लोकसभा से ‘ट्रिपल तलाक बिल’ तीसरी बार पारित हो हो गया है. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाना है. सरकार के सामने इसे राज्यसभा से पारित कराने की चुनौती है, चूंकि सरकार उच्च सदन में बहुमत में नहीं है, इसलिए इसे पास कराना सरकार के सामने चुनौती है. सरकार ने संसद का सत्र सात अगस्त तक बढ़ाया है, ऐसे में यह संभावना जतायी जा रही है कि सरकार इसी सत्र में ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पास कराना चाहती है.
राज्यसभा में क्या है संभावनाएं
राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए कुल 121 सांसदों की मंजूरी चाहिए. अभी कुल सदस्यों की संख्या 244 है. एनडीए के सदस्यों की संख्या 116 है, जबकि विपक्ष के पास 125 का आंकड़ा है. भाजपा के कुल सदस्यों की संख्या 78 है, ऐसे में उसे अपने साथियों के साथ-साथ अन्य दलों के पांच सांसदों की जरूरत होगी, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जदयू के छह सांसद उसके साथ नहीं है. जदयू ने लोकसभा में भी ‘ट्रिपल तलाक’ का विरोध किया था. ऐसे में अगर सरकार ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पास कराना चाहती है, तो उसे 11दूसरे दलों के सांसदों को अपने पक्ष में करना होगा.
बसपा, बीजद और टीडीपी से है सरकार को उम्मीद
राज्यसभा से ट्रिपल तलाक बिल को पास कराने के लिए सरकर बसपा, बीजू जनता दल और टीडीपी की ओर उम्मीद भरी नजर से देख रही है, हालांकि इन पार्टियों ने लोकसभा में ‘ट्रिपल तलाक’ बिल का विरोध किया है, लेकिन राज्यसभा में अगर यह पार्टियों सदन से वाकआउट भी कर जाती हैं, तो सरकार का काम बन जायेगा. सूत्रों के हवाले से जैसी जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार सरकार के पक्ष में कुछ पार्टियां यही रुख अपनाने वाली है. ऐसी खबरें भी आ रहीं हैं कि जदयू के सांसद भी सदन में अनुपस्थित रहेंगे.
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