नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नौ लोगों को गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या का दोषी करार दिया है. अहमदाबाद में सुबह की सैर के दौरान 2003 में उनकी (पांड्या की) गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.
शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में विभिन्न अपराधों के तहत 12 लोगों को दोषी ठहराये जाने के निचली अदालत के आदेश को बहाल करते हुए शुक्रवार को कहा कि हत्या के आरोप से नौ लोगों को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा बरी किया जाना पूरी तरह से अवांछित और गलत रुख पर आधारित था. निचली अदालत ने 12 आरोपियों को पांच साल से लेकर उम्र कैद तक की विभिन्न अवधि की सजा सुनायी थी. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने फोरेंसिक, मेडिकल और अहम गवाहों की गवाही की सराहना करते हुए कहा कि निचली अदालत ने नौ लोगों को पांड्या की हत्या के लिए बिल्कुल सही दोषी ठहराया था.
पांड्या नरेंद्र मोदी नीत तत्कालीन गुजरात सरकार में गृह मंत्री थे और अहमदाबाद के लॉ गार्डेन के पास 26 मार्च 2003 को उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. सीबीआई के मुताबिक, पांड्या की हत्या गुजरात में हुए 2002 के दंगों का बदला लेने के लिए की गयी थी. हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ की वह याचिका खारिज कर दी, जिसके तहत इस संस्था ने पांड्या की हत्या की अदालत की निगरानी में नये सिरे से जांच कराने की मांग की थी. न्यायालय ने पीआईएल दायर करने को लेकर एनजीओ पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाते हुए कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है.
शीर्ष न्यायालय ने 234 पृष्ठों के अपने फैसले में सीबीआई की इस दलील का जिक्र किया कि पांड्या की हत्या और विहिप नेता जगदीश तिवारी की मार्च 2003 में अहमदाबाद में हत्या की एक अलग कोशिश के पीछे का मकसद गोधरा दंगों के बाद हिंदुओं के बीच आतंक फैलाना था. शीर्ष न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई और गुजरात सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया. न्यायालय ने पांड्या की हत्या के सिलसिले में नौ आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराये जाने को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के निष्कर्ष पर भी गौर किया.