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CBI ने पिलैटस विमान सौदे में हथियार कारोबारी संजय भंडारी, अन्य पर मामला दर्ज किया

नयी दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने भारतीय वायुसेना के लिए वर्ष 2009 में लगभग 2895 करोड़ रुपयों की लागत से 75 पिलैटस बेसिक ट्रेनर विमान खरीदे जाने से संबंधित सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर विवादास्पद हथियार कारोबारी संजय भंडारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने भारतीय वायुसेना के लिए वर्ष 2009 में लगभग 2895 करोड़ रुपयों की लागत से 75 पिलैटस बेसिक ट्रेनर विमान खरीदे जाने से संबंधित सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर विवादास्पद हथियार कारोबारी संजय भंडारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि सीबीआइ ने सौदे के संबंध में भंडारी के आवास और कार्यालय में छापेमारी भी की. उन्होंने कहा कि एजेंसी ने फिलहाल और ठिकानों पर छापेमारी से संबंधित विवरण नहीं दिया है. यह कार्रवाई सीबीआइ द्वारा तीन साल पुरानी जांच के नतीजों के बाद की गयी, जिसमें आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार का मामला पाया गया.

जांच एजेंसी ने भारतीय वायुसेना, रक्षा मंत्रालय के एक अज्ञात अधिकारी के साथ ही स्विट्जरलैंड स्थित पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के अनाम अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि स्विस कंपनी वर्ष 2009 में मांगी गयी निविदाओं के लिए आवेदकों में से एक थी.

सीबीआइ ने आरोप लगाया कि कंपनी ने ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों भंडारी और बिमल सरीन के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और भंडारी के साथ जून, 2010 में बेईमानी और धोखे से एक सेवा प्रदाता समझौते पर हस्ताक्षर किये, जो रक्षा खरीद प्रक्रिया, 2008 का उल्लंघन था. यह कथित तौर पर भारतीय वायुसेना को 75 प्रशिक्षण विमानों की आपूर्ति के ठेके के लिए किया गया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के खाते में 10 लाख स्विस फ्रैंक का भुगतान किया. यह रकम अगस्त और अक्टूबर, 2010 में नयी दिल्ली के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में अदा की गयी थी.

इसके अलावा भंडारी की ही दुबई स्थित कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस एफजेडसी के बैंक खातों में वर्ष 2011 से 2015 के बीच 350 करोड़ रुपये मूल्य के स्विस फ्रैंक का भुगतान किया गया. उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि पिलैटस ने कथित तौर पर भारत और दुबई में भंडारी की कंपनी को अदा की गयी रकम की बात छिपायी.

उन्होंने कहा कि संदेह है कि इस रकम का इस्तेमाल खरीद के लिए भारतीय वायुसेना, रक्षा मंत्रालय और सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए किया गया था. पिलैटस को 24 मई, 2012 को 2895.63 करोड़ रुपये का यह करार मिला था.

उन्होंने कहा कि भंडारी के अलावा सीबीआइ ने उसकी कंपनियों ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस एफजेडसी समेत कुछ और लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के प्रावधानों में मामला दर्ज किया गया है.

इनकम टैक्स और ईडी की जांच के दायरे में

संजय भंडारी इनकम टैक्स और ईडी की जांच के दायरे में भी है. आयकर विभाग ने पिछले साल उसके कई ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. ईडी ने भंडारी की करीब 20 करोड़ की संपत्ति और चार महंगी कारों को जब्त किया था. भारत सरकार भंडारी के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है. बताया जाता है कि वह इन दिनों लंदन में रह रहा है. सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से भी उसके संबंध बताये जाते हैं.

कई देशों में चलाता है कारोबार

वर्ष 2015 में उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी की दौरान आसमान में उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने वाले विमानों की खरीद के लंबित प्रस्ताव से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए थे. ओआइएस कंपनी के नाम से भंडारी का कई देशों में कारोबार है.

ऐसे बढ़ा भंडारी का रसूख

जांच एजेंसियों के मुताबिक, हथियार के कारोबार में आने से पहले संजय भंडारी कनॉट प्लेस में पिता की होम्योपैथिक क्लिनिक चलाता था. वर्ष 2008 में उसका रसूख उस वक्त बढ़ा, जब डिफेंस कॉलोनी के एक प्रॉपर्टी डीलर ने हाइ-प्रोफाइल लोगों से उसकी मुलाकात करवायी. इसके बाद ही नेताओं और बड़े अधिकारियों की मदद से भंडारी ने हथियारों की डीलिंग शुरू कर दी. दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले भंडारी के घर पर छापे के दौरान ही पता चला था कि कुछ ही दिनों में वह कैसे करोड़पति बन गया.

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