नयी दिल्ली. : लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 59 सीटों पर होने वाले मतदान में 24 सीटें ऐसी हैं, जहां पिछली बार जीतने वाली पार्टी की सीट खतरे में पड़ सकती है. ये वो सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में जीत का अंतर काफी कम था. अगर गठबंधन या किसी अन्य स्थानीय वजहों से वोटिंग पैटर्न में बदलाव हुआ तो इन सीटों पर आने वाले नतीजे चौका सकते हैं.
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24 सीटों पर कड़ा मुकाबला 2014 में जीत का अंतर था कम
नयी दिल्ली. : लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 59 सीटों पर होने वाले मतदान में 24 सीटें ऐसी हैं, जहां पिछली बार जीतने वाली पार्टी की सीट खतरे में पड़ सकती है. ये वो सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में जीत का अंतर काफी कम था. अगर गठबंधन या किसी अन्य स्थानीय वजहों से […]
बता दें कि जीत का अंतर काफी कम रखने वाली इन 24 सीटों में आठ भारतीय जनता पार्टी की, चार-चार सीटें शिरोमणि अकाली दल और तृणमूल कांग्रेस की हैं. इन पार्टियों के अलावा आम आदमी पार्टी, जेएमएम और कांग्रेस की दो-दो सीटें हैं. जेडीयू और आरएलएसपी की एक-एक सीटें हैं.
कितनी किसके पास
2014 के चुनाव में इन 59 सीटों में 30 पर भाजपा जीती थी, जबकि तृणमूल कांग्रेस के पास इनमें से 9 सीटें हैं. शिरोमणि अकाली दल के पास 4, आम आदमी पार्टी के पास 4 और कांग्रेस के पास तीन सीटें हैं. सभी पार्टियां अपनी मौजूदा स्थिति सुधारने के लिए जोर लगा रही हैं.
वाराणसी सीट से भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी के लिए राह काफी आसान लग रही है, लेकिन अंतिम चरण में 8 सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा प्रत्याशियों की राह आसान नहीं होगी. चुनावी आंकड़े कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर भाजपा ने बेहद कम अंतर से जीत हासिल की थी. अंतिम चरण के चुनाव में 59 सीटों पर मतदान होना है.
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