नयी दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 अंतिम पड़ाव पर है. 23 मई को मतगणना होगी. इस बार चुनावी परिणाम के लिए प्रत्याशियों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा. मतगणना की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग ने साफ किया है कि अगर ईवीएम और वीवीपैट मशीन (वोटर वेरिफिएबल पेपर ट्रेल मशीन) में मिलान नहीं हो पाता है तो वैसी स्थिति में वीवीपैट का परिणाम ही मान्य होगा. हालांकि, कई विधानसभा चुनावों में आयोग ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों में मिलान कर चुका है, लेकिन लोकसभा चुनाव में ऐसा पहली बार होगा.
उपचुनाव आयुक्त सुदीप जैन कह चुके हैं कि इस बार मतगणना में पांच गुना अधिक वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना के कारण चुनाव परिणाम में कम से कम चार घंटे तक का विलंब हो सकता है. सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के अंतिम दौर का मतदान 19 मई को होने के बाद 23 मई को मतगणना होगी. छठे चरण का मतदान 12 मई को है. आयोग ने सात चरणों के चुनाव के लिए देश में 10.35 लाख पोलिंग स्टेशन बनाए हैं जबकि 2014 के चुनावों में करीब 9.28 लाख स्टेशंस ही बनाए गए थे.
इन चुनावों में करीब 39.6 लाख ईवीएम और 17.4 लाख वोटर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें रिजर्व भी शामिल हैं. आयोग के एक अधिकारी ने चुनाव नियमों का हवाला देते हुए बताया कि ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्ची के मिलान में विसंगति पाए जाने पर वीवीपीएटी की पर्ची को वैध माना जायेगा. उन्होंने बताया कि निर्वाचन नियमावली के नियम 56 डी (4) बी और 60 के तहत ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मत और वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना में अंतर पाए जाने पर वीवीपीएटी को वरीयता दी जाएगी.
सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस स्पष्टीकरण के साथ इसके पालन के निर्देश भी जारी कर दिए गये हैं. हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतगणना के दौरान ईवीएम के मत और वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान में अब तक कभी विसंगति होने का कोई उदाहरण नहीं है. मतगणना संबंधी परिवर्तित व्यवस्था के तहत आयोग को इस बार लोकसभा चुनाव की मतगणना में कुल 20600 मतदान केंद्रों की वीवीपीएटी की पर्चियों की गणना करनी होगी. एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 800 से 2500 तक होती है.