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भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल की पहली वास्तविक तस्वीरों को असाधारण उपलब्धि बताया

नयी दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल की अपनी तरह की पहली वास्तविक तस्वीरों का संकलन किये जाने की सराहना करते हुए इसे असाधारण उपलब्धि बताया है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये तस्वीरें अंतरिक्ष की रहस्यमयी चीजों और मिल्की वे जैसी आकाशगंगाओं के समय के साथ विकसित होने पर प्रकाश डालती हैं. अंतरिक्ष में एक बहुत ही […]

नयी दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल की अपनी तरह की पहली वास्तविक तस्वीरों का संकलन किये जाने की सराहना करते हुए इसे असाधारण उपलब्धि बताया है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये तस्वीरें अंतरिक्ष की रहस्यमयी चीजों और मिल्की वे जैसी आकाशगंगाओं के समय के साथ विकसित होने पर प्रकाश डालती हैं.

अंतरिक्ष में एक बहुत ही शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति वाला वह पिंड या स्थान जो संपर्क में आने वाली हर छोटी-बड़ी वस्तु को यहां तक की प्रकाश को भी अपने अंदर अवशोषित कर लेता है, इसलिए इसे विशालकाय ब्लैकहोल (काले रंग के छिद्र) के रूप में जाना जाता है. खगोलविदों ने बुधवार को ब्लैकहोल की पहली तस्वीर जारी की थी.

ब्रह्माण्ड में मौजूद ब्लैकहोल में मजबूत गुरूत्वाकर्षण होता है और यह तारों को निगल जाता है. खगोलविदों ने ब्रसेल्स, शंघाई, टोक्यो, सैंटियागो, वाशिंगटन और ताइपे में अलग अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि गहरे रंग की आकृति के पीछे से नारंगी रंग की गैस और प्लाजमा आकाशगंगा में पांच करोड़ प्रकाशवर्ष दूर एक गहरे काले गोले को दिखाता है जिसे एम87 कहते हैं.

हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के ईवेंट होरिजन टेलीस्कोप (ईएचटी) के प्रोजेक्ट निदेशक शेपर्ड एस डोलेमैन ने कहा, हमने एक ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली है. डोलमैन ने कहा, यह एक असाधारण वैज्ञानिक उपलब्धि है जिसे 200 से अधिक शोधकर्ताओं की एक टीम ने पूरा किया है. कई भारतीय भौतिकविदों ने इस खोज के महत्व और इतिहास के बारे में बताया.

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टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, (टीआईएफआर) मुम्बई में एसोसिएट प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्य ने कहा, यह ब्लैक होल का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है. एक तरह से यह पांसा पलटने वाला (गेम चेंजर) है. अब इसके अस्तित्व पर कोई संदेह नहीं है. पहले हमारे पास 99 फीसदी सबूत थे, अब यह सौ प्रतिशत है. भट्टाचार्य ने कहा, अगर हम सीधे देख सकते हैं कि प्रकाश की पृष्ठभूमि में कुछ काला है- यह एक अविश्वसनीय बात है. यह ब्लैकहोल का प्रत्यक्ष प्रमाण होगा.

टीआईएफआर में एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा, एम87 की छाया का अनावरण ईएचटी की एक बड़ी उपलब्धि है और यह एम87 में विशाल ब्लैकहोल के समूह के लिए पहले स्वतंत्र अनुमान को उपलब्ध कराता है. साउथेम्प्टन एस्ट्रोनॉमी ग्रुप के ब्रिटेन स्थित विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पॉशक गांधी ने कहा, देखकर विश्वास होता है कि यह अब तक का सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण है कि ब्लैक होल मौजूद हैं.

मूलत: नई दिल्ली के रहने वाले गांधी ने कहा, ईएचटी की टीम के नतीजे वास्तव में वर्षों तक किये गये वैश्विक सहयोग को प्रदर्शित करते हैं. इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज (आईसीटीएस-टीआईएफआर), बेंगलुरू के निदेशक राजेश गोपाकुमार ने कहा, यह एक बहुत ही उल्लेखनीय सफलता है क्योंकि लंबे समय से ब्लैकहोल के बारे में अप्रत्यक्ष रूप से पुष्टि की जा रही थी लेकिन यह ब्लैकहोल की एक अलग श्रेणी है जो बहुत अधिक व्यापक है.

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