नयी दिल्ली : शहरों के नाम बदलने की बढ़ती मांग के बीच मद्रास, कलकत्ता एवं बंबई के ऐतिहासिक उच्च न्यायालयों के नाम परिवर्तित करने पर केंद्रित एक विधेयक मुश्किलों में घिर गया है और अब ऐसा करने के लिए संसद में नया विधेयक लाना होगा.
उच्च न्यायालय (नामों में बदलाव) विधेयक, 2016 कलकत्ता, मद्रास और बंबई उच्च न्यायालयों के नाम क्रमश: कोलकाता, चेन्नई और मुंबई उच्च न्यायालय करने के लिए 19 जुलाई, 2016 का लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से मद्रास उच्च न्यायालय का नाम ‘चेन्नई उच्च न्यायालय’ जैसा कि विधेयक में प्रस्तावित है, के बजाय ‘तमिलनाडु उच्च न्यायालय’ करने का आग्रह किया है. पश्चिम बंगाल सरकार कलकत्ता उच्च न्यायालय का नाम कोलकाता उच्च न्यायालय करने के पक्ष में है, लेकिन उच्च न्यायालय खुद ही इस नये नाम पर राजी नहीं है.
दिसंबर, 2016 में लोकसभा में लिखित जवाब में केंद्रीय कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने कहा था कि पुराना विधेयक संशोधित करना होगा और नया विधेयक पेश करना होगा. उन्होंने कहा था, केंद्र सरकार ने नये विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए संबंधित राज्यों एवं उच्च न्यायालयों का विचार मांगा है. नये विधेयक को अंतिम रूप देने और उसे संसद में पेश करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती है. कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई है और 11 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में नये विधेयक के लाये जाने की संभावना नहीं है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय पहला उच्च न्यायालय है और वह भारत में बंबई एवं मद्रास उच्च न्यायालयों के साथ स्थापित तीन चार्टर्ड उच्च न्यायालयों में एक है. वह औपचारिक रूप से 1862 में खुला था. इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद को अयोध्या नाम किये जाने के बाद कई शहरों के नाम बदलने की मांग उठने लगी है.