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मोदी सरकार के तीन तलाक बिल का समर्थन करने के बदले कांग्रेस ने रखी यह शर्त

नयी दिल्ली: संसद में तीन तलाक बिल का समर्थन करने के लिए कांग्रेस पार्टी तैयार हो गयी है. इसके लिए पार्टी ने एक शर्त रखी है. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा है कि अगर सरकार तीन तलाक विरोधी विधेयक में महिला के लिए गुजारा भत्ता का प्रावधान करती है, तो […]

नयी दिल्ली: संसद में तीन तलाक बिल का समर्थन करने के लिए कांग्रेस पार्टी तैयार हो गयी है. इसके लिए पार्टी ने एक शर्त रखी है. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा है कि अगर सरकार तीन तलाक विरोधी विधेयक में महिला के लिए गुजारा भत्ता का प्रावधान करती है, तो कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन जरूर करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक के लिए तीन तलाक विधेयक की शर्त रखकर ‘सौदेबाजी’ कर रही है.

सुष्मिता देव ने कहा, ‘हम तीन तलाक विरोधी विधेयक के खिलाफ में कभी नहीं थे. लेकिन, विधेयक का मौजूदा स्वरूप मुस्लिम महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला है. इसमें पीड़ित महिला के लिए गुजारा भत्ता का प्रावधान होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘महिला के गुजारा भत्ता के लिए मैंने लोकसभा में संशोधन पेश किया था, लेकिन वह पारित नहीं हो सका. अगर यह संशोधन स्वीकार कर लिया जाता है, तो हम इस विधेयक का बिल्कुल समर्थन करेंगे.’

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘विधेयक का मकसद यही है कि मुस्लिम महिला को न्याय मिले और तीन तलाक पर अंकुश लगे. लेकिन, पति जेल चला जायेगा, तो महिला की जीविका का क्या होगा. इस पहलू पर हमें ध्यान देना होगा.’

गौरतलब है कि एक बार में तीन तलाक के खिलाफ लाया गया ‘मुस्लिम महिला विवाह संरक्षण विधेयक’ लोकसभा में पारित हो चुका है. यह बिल फिलहाल राज्यसभा में लंबित है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पारित किये जाने के लिए सहयोग करने को कहा था. उसके बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस महिला आरक्षण ही नहीं, बल्कि तीन तलाक, हलाला और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग संबंधी विधेयकों पर भी सरकार का साथ दे.

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इस पर महिला कांग्रेस की प्रमुख ने कहा, ‘सरकार की ओर से सौदेबाजी की जा रही है. क्या उन्होंने अपने घोषणापत्र में कहा था कि महिला आरक्षण विधेयक के साथ तीन तलाक विधेयक को पारित करेंगे? हमारे पास बहुमत नहीं था, लेकिन इनके पास स्पष्ट बहुमत है. अगर कांग्रेस और भाजपा दोनों समर्थन करें, तो महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जा सकता है.’

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