नयी दिल्ली : राजनीतिक दल लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के मुद्दे पर बंटे हुए हैं. चार राजनीतिक दल जहां इस विचार के समर्थन में हैं. नौ इसके खिलाफ हैं. हालांकि, सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस विषय पर विधि आयोग की ओर से आयोजित परामर्श प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया है.
एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर दो दिवसीय परामर्श प्रक्रिया के अंत में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के अलावा, अन्नाद्रमुक, समाजवादी पार्टी (सपा) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने इस विचार का समर्थन किया. यद्यपि, भाजपा के सहयोगी दल गोवा फाॅरवर्ड पार्टी ने इस विचार का विरोध किया. तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), फाॅरवर्ड ब्लाॅक और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने भी इसका विरोध किया है.
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सपा, टीआरएस, आप, द्रमुक, तेदेपा, जेडीएस और आॅल इंडिया फाॅरवर्ड ब्लाॅक ने विधि आयोग से मुलाकात की और अपने विचार रखे. सपा का प्रतिनिधित्व राम गोपाल यादव ने किया. यादव ने स्पष्ट किया कि पहला एक-साथ चुनाव वर्ष 2019 में होना चाहिए, जब 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होगा. यदि एक साथ चुनाव 2019 में हुआ, तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार का कार्यकाल छोटा होगा.