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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पत्‍नी को अपने पति का वेतन जानने का है पूरा अधिकार

जबलपुर : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने अहम फैसले में कहा है कि पत्नी को यह जानने का अधिकार है कि उसके पति का वेतन कितना है. न्यायमूर्ति एस के सेठ और न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता सुनीता जैन को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत उसके पति की ‘पे-स्लिप’ देने के निर्देश […]

जबलपुर : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने अहम फैसले में कहा है कि पत्नी को यह जानने का अधिकार है कि उसके पति का वेतन कितना है. न्यायमूर्ति एस के सेठ और न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता सुनीता जैन को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत उसके पति की ‘पे-स्लिप’ देने के निर्देश जारी किये हैं.

सुनीता के वकील के डी घिल्डियाल ने बताया, ‘युगलपीठ ने मेरी मुवक्किल की अपील की सुनवाई करते हुए 15 मई के अपने आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ता पत्नी है और उसे यह जानने का अधिकार है कि उसके पति का वेतन कितना है. पत्नी को तीसरा पक्ष मानकर पति की वेतन संबंधित जानकारी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है.’

घिल्डियाल ने बताया, ‘मेरी मुवक्किल की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि वह (सुनीता) और अनावेदक पवन जैन पति-पत्नी हैं. दोनों के वैवाहिक संबंध में तनाव चल रहा है. उसका पति भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में प्रतिनियुक्ति पर उच्च पद पर है. पति द्वारा उसे भरण-पोषण के लिए मात्र 7,000 रुपये दिये जाते हैं, जबकि पति का वेतन प्रतिमाह सवा दो लाख रुपये है.’

उन्‍होंने बताया, ‘भरण-पोषण की राशि बढ़ाने की मांग करते हुए जिला न्यायालय में पति की पे-स्लिप मंगाने के लिए आवेदन दायर किया था, जिसे जिला न्यायालय तथा लोक सूचना अधिकारी ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था.’ उन्होंने कहा कि इसके बाद सुनीता ने केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) के समक्ष अपील दायर की. सीआईसी ने 27 जुलाई 2007 को पारित अपने आदेश में आवेदिका महिला को पति की पे-स्लिप सूचना के अधिकार के तहत प्रदान करने के बीएसएनएल को निर्देश जारी किये थे.

सीआईसी के आदेश के खिलाफ अनावेदक पति ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी. उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने मार्च 2015 को गिरीश रामचंद्र देशपांडे विरूद्ध सीआईसी के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए सीआईसी के आदेश को खारिज कर दिया था. घिल्डियाल ने बताया कि इसके बाद याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति पवन जैन तथा बीएसएलएल को अनावेदक बनाते हुए दो अलग-अलग अपील दायर की थी, जिस पर युगलपीठ ने यह फैसला सुनाया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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