नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की खातिर टैक्स फ्री ग्रैच्यूटी राशि की सीमा दोगुनी कर 20 लाख रुपये करने से संबंधित संशोधित विधेयक के प्रारूप को अपनी स्वीकृति दे दी है. केंद्र सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों को तो फायदा होगा ही, संगठित आैर निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा.
सरकार की आेर से जारी बयान के अनुसार, ग्रैच्यूटी भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017 संशोधन से निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के लोक उपक्रमों तथा सरकार के अंतर्गत आने वाले उन स्वायत्त संगठनों के कर्मचारियों की ग्रैच्यूटी सीमा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर हो जायेगी, जो केंद्रीय सिविल सेवाओं (पेंशन) नियम के दायरे में नहीं आते.
इसे भी पढ़ेंः केंद्रीय कर्मचारियों को पीएम मोदी का तोहफा, 1 जुलाई से अतिरिक्त महंगाई भत्ता, ग्रैच्युटी संशोधन बिल पर भी मुहर
फिलहाल, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ग्रैच्यूटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये है. कानून के तहत वर्तमान में ग्रैच्यूटी की अधिकतम उच्च सीमा 10 लाख रुपये है. केंद्रीय सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम, 1972 के तहत ग्रैच्यूटी के संदर्भ में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी यह प्रावधान समान था, लेकिन 7वें वेतन केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए एक जनवरी, 2016 से यह सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गयी.
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की भी बढ़ेगी ग्रैच्यूटी सीमा
सरकार ने निजी क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों के मामले में महंगाई और वेतन वृद्धि को देखते हुए उनके लिए भी ग्रैच्यूटी की सीमा बढ़ाने का फैसला किया. सरकार का मानना है कि ग्रेच्युटी भुगतान कानून 1972 के तहत आने वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी ग्रैच्यूटी सीमा में संशोधन किया जाना चाहिए. इसके अनुसार, सरकार ने ग्रैच्यूटी भुगतान कानून, 1972 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 10 या उससे अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है.
इन संस्थानों पर लागू है नियम
सरकार की आेर से जारी बयान के अनुसार, देश में 10 या उससे अधिक कर्मचारियों की संख्या वाले संस्थानों पर ग्रैच्यूटी कानून लागू होता है. इस कानून के तहत यदि कोई संस्थान इसके दायरे में एक बार आ जाता है, तो कर्मचारियों की संख्या 10 से कम होने पर भी उस पर यह नियम लागू रहता है. यदि कोई संस्थान इसके अंतर्गत नहीं है, तो वह अपने कर्मचारियों को एक्सग्रेशिया पेमेंट कर सकता है.
ग्रैच्यूटी पाने की क्या है योग्यता
सरकार के इस नये संशोधित कानून के तहत कोई भी कर्मचारी लगातार 5 साल या फिर उससे अधिक वक्त तक संस्थान में काम करता है, तभी वह ग्रैच्यूटी का हकदार है. हालांकि, बीमारी, दुर्घटना, लेऑफ, स्ट्राइक या लॉकआउट की स्थिति में आये व्यवधान को इसमें नहीं जोड़ा जाता.
किन परिस्थितियों में कर्मचारियों को होता है ग्रैच्यूटी का भुगतान
आमतौर पर कर्मचारी के रिटायर होने पर ही ग्रैच्यूटी ही पेमेंट की जाती है. हालांकि, इसके अलावा भी कुछ अन्य स्थितियों में कर्मचारी को ग्रैच्यूटी का लाभ मिलता है. कर्मचारियों को ग्रैच्यूटी का लाभ रिटायर करने पर पेंशन की स्थिति में तो मिलता ही है. इसके अलावा, यदि वह संस्थान में 5 साल तक काम करने के बाद इस्तीफा देता है, तो भी उसे इसका लाभ मिलता है.
पांच साल के अंदर काम के दौरान मौत होने पर भी मिलेगी ग्रैच्यूटी
यदि कोई कर्मचारी 5 साल पूरे नहीं कर पाता है और बीच में ही उसकी मौत हो जाती है, तब भी उसके परिवार को ग्रैच्यूटी की राशि मिलेगी. इसके साथ ही, यदि 5 साल का कार्यकाल पूरा न होने से पहले ही यदि वह हादसे के चलते अक्षम हो जाता है या फिर वह किसी बीमारी का शिकार हो जाता है, तब भी उसे ग्रैच्यूटी का लाभ मिलेगा.